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Delhi Crime: दिल्ली पुलिस ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए मुकाबले में लोगों से सट्टा लगवाने वाले 2 बुकियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। चलिए बताते हैं दोनों आरोपी पुलिस के हत्थे कैसे चढ़ गए।

Delhi Crime: दिल्ली क्राइम ब्रांच की एनडीआर टीम ने क्रिकेट मैच सट्टेबाजी रैकेट का भंडाफोड़ किया है। इस सिलसिले में दो सट्टेबाजों को गिरफ्तार किया गया है। यह लोग भारत ऑस्ट्रेलिया चैंपियंस ट्रॉफी के सेमीफाइनल मैच पर सट्टा लगाते हुए पकड़े गये। इनके पास से सट्टेबाजी में इस्तेमाल उपकरणों का विशाल भंडार भी जब्त किया गया है। डीसीपी आदित्य गौतम के अनुसार दिल्ली में चल रहे क्रिकेट सट्टेबाजी रैकेट का सफलतापूर्वक भंडाफोड़ किया है।

4 मार्च को गठित हुई थी टीम

चैंपियंस ट्रॉफी 2025 के मैचों पर अवैध सट्टेबाजी में शामिल दो व्यक्तियों को सलाखों के पीछे भेजा गया। गिरफ्तार हुए पहले व्यक्ति के नाम परवीन कोचर है, वह 55 साल का है, जो सुभाष नगर का रहने वाला है। इसके अलावा एक और व्यक्ति संजीव कुमार है, वह भी सुभाष नगर का है, उसकी उम्र भी 55 साल है। एसआई अनुज कुमार को परवीन कोचर के नेतृत्व में एक संगठित सट्टेबाजी सिंडिकेट चलाये जाने की जानकारी मिली थी। इनपुट के आधार पर 4 मार्च को इंस्पेक्टर राकेश कुमार के नेतृत्व में एक टीम द्वारा सेक्टर 23 द्वारका में छापेमारी की गई।

बुकियों के पास से ये सामग्री हुए जब्त

छापेमारी के दौरान दो व्यक्तियों को लैपटॉप और मोबाइल फोन का उपयोग करके लाइव सट्टा लगाते हुए पकड़ा गया। परिसर से विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सट्टेबाजी सामग्री भी जब्त की गई। ऑपरेशन के समय आरोपी भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सेमीफाइनल मैच पर सट्टा लगा रहे थे, जो दोपहर 2:30 बजे शुरू हुआ था। पूछताछ में पता चला कि परवीन कोचर ने विनय नामक एक सहयोगी के माध्यम से लकी डॉट कॉम (एक सट्टेबाजी वेबसाइट) से एक मास्टर आईडी खरीदी थी।

2 साल से कर रहा था सट्टेबाजी का काम

फिर उसने एक सुपर मास्टर आईडी बनाई और खिलाड़ियों (पंटरों) को सट्टेबाजी आईडी बेची। सिंडिकेट ने कुल सट्टे की राशि पर प्रति लेनदेन 3 प्रतिशत कमीशन कमाया। डायरेक्ट कॉल के माध्यम से ऑफलाइन सट्टा भी लगाया जाता था। सट्टेबाजी के संचालन के लिए परवीन कोचर ने अपने नाम से 35 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से फ्लैट किराए पर लिया था। यह सिंडिकेट पिछले दो सालों से इस अवैध सट्टेबाजी का संचालन कर रहा था। मैच के दिनों में प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख का लेन-देन होता था।

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