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दिल्ली विधानसभा में विजेंद्र गुप्ता को 2019 में सदन से मार्शलों ने घसीटकर बाहर कर दिया था। तब वे विधानसभा में प्याज की बढ़ती कीमतों पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन उनकी मांग ठुकरा दी गई थी। अब वे स्पीकर बनेंगे।

Vijender Gupta Delhi Assembly Speaker: दिल्ली में भाजपा सरकार बनने के बाद विधानसभा में विजेंद्र गुप्ता को स्पीकर चुना गया है। यह पल बेहद खास है क्योंकि 2019 में इन्हीं विजेंद्र गुप्ता को सदन से मार्शलों ने घसीटकर बाहर कर दिया था। तब वे विधानसभा में प्याज की बढ़ती कीमतों पर चर्चा करना चाहते थे, लेकिन उनकी मांग ठुकरा दी गई थी।  

2019 का घटनाक्रम: जब मार्शलों ने बाहर निकाला था

साल 2019 में दिल्ली विधानसभा में प्याज के बढ़ते दामों पर चर्चा करने की मांग को विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने खारिज कर दिया था। इसके बावजूद गुप्ता और भाजपा विधायक अपनी बात पर अड़े रहे। नतीजतन, विधानसभा अध्यक्ष ने मार्शलों को बुलाकर विजेंद्र गुप्ता को सदन से बाहर निकलवा दिया था। उस समय भाजपा के अन्य विधायकों ने इसका विरोध करते हुए वॉकआउट किया था।  

अब वही सदन संभालेंगे, जहां कभी विरोध में निकाले गए थे

दिलचस्प बात यह है कि जिस सदन से विजेंद्र गुप्ता को निकाला गया था, अब वही सदन की कार्यवाही का संचालन करेंगे। 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में लौटी भाजपा ने उन्हें विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। इसके साथ ही यह भी गौर करने वाली बात है कि 2019 में उन्हें सदन से बाहर निकलवाने वाले तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब सदन का हिस्सा नहीं हैं।  

राजनीतिक सफर: लगातार तीसरी बार विधायक बने

विजेंद्र गुप्ता दिल्ली की रोहिणी विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर चुके हैं। इस बार उन्होंने आम आदमी पार्टी के प्रदीप मित्तल को 37,000 से अधिक मतों से हराया। 2015 और 2020 के चुनावों में अरविंद केजरीवाल की लहर के बावजूद उन्होंने अपनी सीट बचाए रखी।  

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शिक्षा और राजनीतिक पृष्ठभूमि

विजेंद्र गुप्ता बनिया समुदाय से आते हैं और उनकी जड़ें दिल्ली के व्यापारिक समुदाय में गहरी हैं। उनका जन्म 14 अगस्त 1963 को हुआ था। उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (SRCC) से स्नातक किया है। राजनीति में उनकी शुरुआत 1980 में जनता विद्यार्थी मोर्चा से हुई थी और बाद में 1995 में वे भाजपा की युवा शाखा के अध्यक्ष बने।  

चुनावी सफर: जीत और हार का लंबा अनुभव

  1. 1997 में पहली बार एमसीडी पार्षद बने  
  2. चांदनी चौक लोकसभा सीट से 2009 में कांग्रेस के कपिल सिब्बल से हार  
  3. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में अरविंद केजरीवाल से हार  
  4. रोहिणी विधानसभा सीट से पहली बार 2015 में विधायक बने  
  5. 2020 में दोबारा रोहिणी सीट से जीत दर्ज की  
  6. साल 2025 में लगातार तीसरी बार विधायक बने और अब विधानसभा अध्यक्ष बने  

विधानसभा अध्यक्ष के रूप में नई भूमिका

अब विधानसभा अध्यक्ष के रूप में विजेंद्र गुप्ता की भूमिका दिल्ली की राजनीति में अहम होगी। एक समय जहां वे विपक्ष के नेता के रूप में सरकार से सवाल पूछते थे, अब उन्हें पूरे सदन को निष्पक्ष रूप से संचालित करना होगा। यह बदलाव उनके राजनीतिक सफर में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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