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दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम (Asha Kiran Shelter Home) को लेकर नए नया खुलासा हुआ है। खबरों की मानें, तो 20 दिन में 14 कैदियों की मौत के बाद भी शेल्टर होम में कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई है।

Delhi Shelter Home Deaths: दिल्ली के आशा किरण शेल्टर होम (Asha Kiran Shelter Home) को लेकर नए नया खुलासा हुआ है। खबरों की मानें, तो 20 दिन में 14 कैदियों की मौत के बाद भी शेल्टर होम में कर्मचारियों की भर्ती नहीं की गई है। कहा जा रहा है कि शेल्टर होम में क्षमता से ज्यादा कैदी रखे गए हैं। इसके बावजूद यहां स्टाफ की कमी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एलजी के आदेश के तहत 2013 में 10 डॉक्टरों, 249 नर्सों और 62 एएनएम के पदों पर भर्ती निकाली गई थी। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि करीब एक हजार कैदियों की देखभाल के लिए केवल 6 डॉक्टर, 17 नर्सिंग स्टाफ और 50 एएनएम हैं। अधिकारियों के मुताबिक, इस शेल्टर होम में करीब 400 कैदियों को रखा जा सकता है।

समय पर नहीं मिलती सैलरी इसलिए नौकरी छोड़ जाते है कर्मचारी

खबरों की मानें, तो सैलरी मिलने में देरी की वजह से कई चिकित्सक और देखभाल करने वाले कर्मचारी शेल्टर होम छोड़ देते हैं। इस वजह से यह पद खाली रह जाते है। समाज कल्याण निदेशक अंजलि सहरावत ने इस बात को स्वीकार किया है कि कर्मचारियों की गंभीर कमी है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर जीएनसीटीडी की ओर से बार-बार भर्ती निकाली जाती है। लेकिन, इसके बाद भी खाली पदों को नहीं भरा जा सका है।

एक बार फिर आमने-सामने है आम आदमी पार्टी और एलजी

इस घटना के बाद आम आदमी पार्टी और दिल्ली एलजी एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। आप के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि वीके सक्सेना ने आशा किरण शेल्टर होम के प्रमुख अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बावजूद उन्हें बर्खास्त नहीं किया। आप नेता ने यह भी कहा कि 'सेवाएं' दिल्ली के एलजी डोमेन के अंतर्गत आती हैं।

भारद्वाज ने आरोप लगाते हुए कहा, 'इस शेल्टर होम में रहने वाले लगभग सभी लोग बौद्धिक रूप से विकलांग हैं और अक्सर बीमारियों से ग्रस्त रहते हैं। वे अपने खाने-पीने का पूरा ख्याल नहीं रख पाते हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि जो भी लोग उनकी देखभाल के लिए यहां नियुक्त किया गया है, उसमें सेवा की भावना होनी चाहिए।

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