Gurugram News: दिल्ली में मौजूद एक गैर-सरकारी संगठन ने किए एक सर्वे में गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) के तहत आने वाले रैन बसेरों की हालत को “दयनीय” और “चिंताजनक” बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन शेल्टर की हालत राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (NULM) की तय मानकों के हिसाब से नहीं है। इसके साथ ही शहर में रैन बसेरों की संख्या भी काफी कम है।
कम रैन बसेरों की वजह से बाहर सोने को मजबूर बेघर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेंटर फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट ने अक्टूबर में एक सर्वे रिपोर्ट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि गुरुग्राम शहर में बढ़ती आबादी के हिसाब से रैन बसेरों की संख्या बहुत कम है। रिपोर्ट के अनुसार, 2011 की जनगणना में गुरुग्राम की जनसंख्या 8.8 लाख है, लेकिन हरियाणा सरकार के अलग- अलग विभागों में किए गए सर्वे के हिसाब से यह आंकड़ा कई गुना बढ़ गया है। शहर में बेघरों की संख्या 2,703 है। इसके आधार पर गुरुग्राम की आबादी के लिए आठ रैन बसेरों की जरूरत है, लेकिन वर्तमान में केवल 12 रैन बसेरे ही हैं, जिनमें से केवल तीन ही स्थायी हैं। इसकी वजह से कई बेघर लोग खुले में सोने को मजबूर हैं।
रिपोर्ट में रैन बसेरों की सफाई और फायर प्रोटेक्शन पर भी सवाल
रिपोर्ट में बेघरों के लिए मौजूद रैन बसेरों की सफाई की हालत पर गंभीर चिंता जताई गई है। इसके मुताबिक, कई शेल्टर की जगह तंग और गंदे पोर्टा केबिन में हैं, जो बेघर लोगों के लिए बीमारी और डर का माहौल पैदा कर रहे हैं। रिपोर्ट में आग से सुरक्षा के उपायों की कमी का भी जिक्र है, जिसकी वजह से हाल में हुई आग की घटनाओं ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सफाई और रैन बसेरों की संख्या में सुधार के लिए कदम उठाए जाएंगे: निगम
गुरुग्राम नगर निगम के सिटी प्रोजेक्ट ऑफिसर महेंद्र सिंह ने कहा कि सफाई व्यवस्था में सुधार लाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, "हम जल्द ही रैन बसेरों की संख्या को सात से बढ़ाकर 15 करेंगे। उन इलाकों में भी नए शेल्टर की जगह बनाए जाएंगे, जहां ज्यादा संख्या में मजदूर रहते हैं, जैसे कि हीरो होंडा चौक, बसई चौक, और सिकंदरपुर के आसपास के इलाके।"
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