Hisar Alprazolam Factory: हिसार के अल्प्राजोलम बनाने की फैक्ट्री चलाने वाले 6 आरोपी गिरफ्तार हुए हैं। बताया जा रहा है कि यह आरोपी इंडियन अचीवर्स पुरस्कार विजेता हैं और इनके पास से पुलिस को 18 किलोग्राम मादक और नगद बरामद हुए हैं। पुलिस ने इन आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी हिसार के आर्य नगर में एक हर्बल न्यूट्रिशन कंपनी चलाते थे।
इस कंपनी मालिक डॉ. नवीन अग्रवाल है। दिल्ली पुलिस ने बताया कि इन्हें साल 2023 में इंडियन अचीवर्स के अलावा सीईओ ऑफ द ईयर का भी पुरस्कार भी मिला था। उसके पास मिले 18 किलोग्राम बरामद अल्प्राजोलम की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 4 करोड़ 20 लाख रुपए है। साथ ही इनके पास से 1 करोड़ 17 लाख 60 हजार 350 रुपए नकद बरामद किए गए हैं।
ये आरोपी थे शामिल
जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार हुए आरोपी राजेंद्र कुमार मिश्रा उर्फ आरपी डिलीवरी के लिए कमीशन के आधार पर दिल्ली के कई जगहों पर अल्प्राजोलम पाउडर की सप्लाई करता था। राम आशीष मौर्य उर्फ पप्पू एक मध्यम वर्गीय परिवार से है और उसने 9वीं कक्षा तक पढ़ाई की है। वह आरोपी दीपक से अल्प्राजोलम पाउडर लिया करता था और सहआरोपी राजेंद्र कुमार मिश्रा के साथ मिलकर आरोपी आनंद कुमार उर्फ सोनू नामक व्यक्ति को सामान सप्लाई करता था। आनंद कुमार उर्फ सोनू साक्षी इंटरप्राइजेज लिमिटेड नाम की एक दवा कंपनी का मालिक है। वहीं, यूपी के बागपत का रहने वाला दीपक कुमार बीएससी ड्रॉप आउट है।
बिना डिग्री के अपने नाम से पहले लगाता था डॉक्टर
हिसार से पकड़े गए नवीन अग्रवाल की न्यूट्रीली प्राइवेट लिमिटेड और बायोकेस फूड्स नाम की दो कंपनियों के मालिक हैं। इसने न तो पीएचडी कर रखी है और न ही डॉक्टर की डिग्री ले रखी है, इसके बाद भी अपने नाम के आगे डॉक्टर लगा कर लोगों को गुमराह करता था। उसकी कंपनी में होम्योपैथी दवाएं बनती थी और इस कारण वह अपने नाम से पहले डॉक्टर लिखने लग गया था। साल 2022 में इसने इंडियन अचीवर्स अवॉर्ड जीता था।
Also Read: कांग्रेस के बड़े नेता राव दान सिंह के खिलाफ ईडी की कार्रवाई, 44 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त
8 महीने पहले बंद हुई थी नवीन की फैक्ट्री
आरोपी नवीन अग्रवाल ने सीसवाला गांव के किरतान रोड पर अल्प्राजोलम मादक पदार्थ को बनाना शुरू किया था। यहां पर उसके साथ बागपत निवासी दीपक भी काम करता था। ग्रामीणों ने बताया कि यहां से सालभर पहले ये कंपनी बंद हो चुकी है। जब भी यहां काम होता था, तो कंपनी का गेट बंद रहता था, किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं थी और न ही यहां पर लोकल मजदूर को काम करते थे। ग्रामीणों के अनुसार लगभग आठ महीने पहले दिल्ली पुलिस ने ही कार्रवाई कर इस फैक्ट्री को बंद कराया था।