Logo
हरियाणा के लिए बड़े गर्व की बात है कि हिसार के युवा वैज्ञानिक विकास धामू को पेरिस में प्रतिष्ठित इंफ्लेक्शन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। विकास सिंगापुर में पीएचडी कर रहे हैं। विश्व के 30 वैज्ञानिकों का चयन किया गया था। विकास कार्बन डाइआक्साइड के प्रभाव को कम करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

हिसार के युवा वैज्ञानिक को पेरिस में अवॉर्ड :  हिसार जिले के गांव सीसवाल निवासी विकास धामू को विश्व के शीर्ष 30 युवा वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। उन्हें हाल ही में फ्रांस के पेरिस में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में ‘इंफ्लेक्शन अवॉर्ड-2025’ से सम्मानित किया गया। विकास की इस उपलब्धि पर जानकारों द्वारा उसे बधाई देने का तांता लगा हुआ है। विकास के पिता छोटूराम धामू, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से सहायक सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी (एआईपीआरओ) के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।

मार्बल ने दिया सम्मान, बिल गेट्स भी जुड़े हुए हैं

विकास को यह सम्मान मार्बल द्वारा प्रस्तुत किया गया है, जिसे बिल गेट्स (माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक) द्वारा स्थापित ब्रेकथ्रो एनर्जी फैलोज और क्वाड्रेचर क्लाइमेट फाउंडेशन का समर्थन प्राप्त है। इनफ्लेक्शन विश्व का पहला पुरस्कार कार्यक्रम है जो भावी युवा वैज्ञानिकों की पहचान कर उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रभावशाली अवसरों से जोड़ता है। इस कार्यक्रम के तहत 30 चुने गए वैज्ञानिकों को पेरिस में एक विशेष दो-दिवसीय समिट में बुलाया गया। यह अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन संधि (पैरिस एग्रीमेंट) का जन्मस्थान भी है। इस संधि के अनुसार, वैश्विक तापमान में वृद्धि को सीमित करना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्र स्तर का बढ़ना, और सूखे जैसी आपदाओं में तेज़ी आ सकती है। यहां तक कि मुंबई और पश्चिम बंगाल जैसे तटीय क्षेत्र भी भविष्य में समुद्र में समा सकते हैं।

विश्व भर के शिक्षण संस्थानों में से विकास को चुना

इस पुरस्कार का उद्देश्य प्रारंभिक स्तर के वैज्ञानिकों को विश्वस्तरीय विशेषज्ञों से जुड़ने, उनके अनुसंधान को वैश्विक पहचान दिलाने और उनके नवाचारों का उत्सव मनाने का अवसर प्रदान करना है ताकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस समाधान विकसित किए जा सकें। विकास, जो इस वर्ष के इनफ्लेक्शन पुरस्कार विजेताओं में से एक हैं, उन वैज्ञानिकों में से हैं जो जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध क्रांतिकारी समाधान विकसित कर रहे हैं। उन्हें दुनिया भर के शीर्ष संस्थानों-जैसे एमआईटी, आक्स्फोर्ड, स्टेनफोर्ड आदि के सैकड़ों आवेदकों में से कठोर मूल्यांकन प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया। विकास धामू को उनकी वैज्ञानिक उत्कृष्टता, दूरदर्शिता, और वास्तविक दुनिया में प्रभाव डालने की क्षमता के लिए विशेष रूप से सराहा गया। इस वर्ष के 30 विजेताओं में से विकास धामू एशिया की केवल दो यूनिवर्सिटियों से चयनित वैज्ञानिकों में शामिल हैं और आसियान क्षेत्र से एकमात्र विजेता हैं।

सिंगापुर से कर रहे हैं पीएचडी

विकास धामू ने बी.टेक डीसीआरयूएसटी, मुरथल से किया और फिर आईआईटी खड़गपुर से मास्टर्स डिग्री प्राप्त की। वर्तमान में वे नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर (एनयूएस) से पीएचडी कर रहे हैं, जो कि एशिया की नंबर-1 और विश्व की आठवीं सर्वश्रेष्ठ यूनिवर्सिटी है।

कार्बन डाइऑक्साइड को क्लाथरेट हाइड्रेट में बदलने का है शोध

प्रोफेसर प्रवीन लिंगा के मार्गदर्शन में, विकास धामू का शोध कार्य कार्बन डाइऑक्साइड को क्लाथरेट हाइड्रेट के रूप में संग्रहित करने की तकनीक पर केंद्रित है। क्लाथरेट हाइड्रेट्स बर्फ जैसे यौगिक होते हैं जो तब बनते हैं जब सीओ-2 जैसी गैसें उच्च दबाव और निम्न तापमान में पानी के साथ मिलती हैं। विकास का शोध समुद्र की गहराई में मौजूद प्राकृतिक स्थितियों-जैसे उच्च दबाव और कम तापमान का उपयोग कर वायुमंडलीय सीओ-2 को ठोस हाइड्रेट्स के रूप में लंबे समय तक सुरक्षित तरीके से संग्रहित करने का तरीका प्रदान करता है। यह पद्धति न केवल पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ है, बल्कि आर्थिक रूप से भी व्यावहारिक है। इस तकनीक के माध्यम से एक लाख गीगाटन से अधिक सीओ-2 को संग्रहित किया जा सकता है-जो कि 2050 तक वैश्विक कार्बन न्यूट्रलिटी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अत्यंत सहायक सिद्ध हो सकती है। विकास ने अपनी क्लाथरेट हाइड्रेट तकनीक पर आधारित शोध को लेकर अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में कई लेख प्रकाशित किए हैं।

यह भी पढ़ें : बिना नींव खड़ी कर दी 180 करोड़ की बाउंड्री वॉल: हिसार एयरपोर्ट पर DGCA की रिपोर्ट से हड़कंप, PWD पर उठे सवाल

5379487