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होलिका दहन पर इस बार भद्रा का साया होने से शुभ मुहूर्त का देररात तक इंतजार करना पड़ेगा। शास्त्रों के अनुसार, शुभ मुहूर्त में ही होलिका का दहन होना चाहिए। केवल एक घंटा चार मिनट का ही शुभ मुहूर्त श्रद्धालुओं का मिलेगा और वह भी देर रात। जानें क्या है वजह और शुभ मुहूर्त।

कुरुक्षेत्र। इस साल होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा, जिससे सही समय पर दहन करना ही महत्वपूर्ण होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार 13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा और 14 मार्च को रंगों का त्योहार होली मनाया जाएगा। सात मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे, जिसमें शुभ कार्य करने की मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है क्योंकि इस समय किए गए कार्यों का नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है।

एक घंटा चार मिनट रहेगा मुहूर्त

होलिका दहन के मुहूर्त के बारे में चर्चा करते हुए पं. राम राज कौशिक ने बताया कि इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त एक घंटा चार मिनट है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष 13 मार्च को शाम को भद्रा की छाया पृथ्वी पर होने के कारण होलिका दहन के शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखना होगा। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में किए गए कार्य शुभ फल नहीं देते और इससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं। यही कारण है कि इस समय विवाह, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। विशेष रूप से होलिका दहन को भद्रा में करने से अनिष्टकारी प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए इसे टालना ही बेहतर माना जाता है। ज्योतिषाचार्य रामराज कौशिक ने बताया कि इस वर्ष 13 मार्च सुबह 10:02 से पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो जाएगी, जिसकी समाप्ति 14 मार्च सुबह 11:11 पर होगी। ऐसे में 13 मार्च को ही होलिका दहन किया जाएगा, लेकिन 13 मार्च को पूरे दिन लगभग 13 घंटे तक भद्रा का साया बना रहेगा। शास्त्रों में होलिका दहन के लिए भद्रा रहित और निशा काल में पूर्णिमा तिथि का होना अनिवार्य बताया गया है।

13 मार्च को धरती पर होगा भद्रा का वास

इस साल 13 मार्च को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रा का वास धरती पर है। कहा जाता है कि जब भद्रा का वास धरती पर होता है तो कोई भी शुभ-मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए क्योंकि भद्रा इन कामों में विघ्न डालने का कार्य करती है। इसलिए जब धरती पर भद्रा का वास होता है तो इन कामों का त्याग करना चाहिए। होलिका दहन पर पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा की भी शुरुआत हो जाएगी जो रात 10:36 तक रहेगी। इसलिए भद्रा खत्म होने के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा।

होलिका दहन का मुहूर्त

भद्रा रहित और पूर्णिमा तिथि को देखते हुए होलिका दहन 13 मार्च की रात में किया जाएगा। होलिका दहन के लिए ज्योतिषाचार्य ने रात 10 बजकर 35 मिनट से 11 बजकर 26 मिनट तक का समय शुभ बताया है। ऐसे में होलिका दहन देर रात किया जाएगा और इसके लिए लगभग 1 घंटे 9 मिनट का ही शुभ समय मिलेगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा का मुख काल छोड़कर पूंछ काल में होलिका दहन हो सकेगा। होलिका दहन के दिन भद्रा पूंछ शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट तक है। इस दौरान होलिका दहन करना शुभ माना गया था।

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