Bahadurgarh: शहर के रेलवे स्टेशन के समीप रेलवे अंडरपास से होकर गुजरना खतरे से खाली नहीं है। इस अंडरपास से आए दिन हजारों नागरिकों का आवागमन होता है। यह शहर के मुख्य हिस्से को एक तिहाई आबादी वाले लाइनपार से जोड़ता है। प्रदेश सरकार ने इसके निर्माण के लिए 2014 में रेलवे को 32 करोड़ रुपए जमा करवाए थे। लेकिन इसका निर्माण 2020 में करीब 40 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हुआ। हालांकि यह घटिया निर्माण सामग्री के प्रयोग के कारण कुछ दिन में ही क्षतिग्रस्त होने लगा। स्थिति यह है कि महज तीन साल के भीतर अंडरपास की स्थिति जर्जर हो चुकी है।
रेलवे को जमा करवाए गए थे 32 करोड़
हरियाणा सरकार ने 2014 में अंडरपास निर्माण के लिए 32 करोड़ रुपए रेलवे में जमा करवा दिए थे। लेकिन उसी साल कांग्रेस की सरकार चली गई। फिर डिजाइन में बदलाव को लेकर मामला उलझ गया। पहले यू-शेप में बन रहा अंडरब्रिज विवाद के बाद जेड शेप में फाइनल हुआ। अक्टूबर-2017 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस अंडरपास का शिलान्यास किया। यह अंडरपास दिसंबर-2018 तक बनना था। लेकिन कई कारणों के चलते काम बाधित रहा और अंडरपास का निर्माण 2000 में पूरा हुआ। हालांकि इसका कोई विधिवत उद्घाटन नहीं हुआ और इसे लेकर भी स्थानीय विधायक व भाजपा नेताओं में टकराव की स्थिति बन गई।
बरसात में जलभराव की समस्या ने खोली डिजाइन की पोल
यह अंडरपास शुरू होते ही पहली बरसात के दौरान जलभराव की समस्या ने इसके डिजाइन की पोल खोल दी। इतना ही नहीं, इसके अंदर बनी सड़क भी बनने के साथ ही उखड़ने लगी। महज तीन साल के भीतर गड्ढे गहरा गए। इन गड्ढों में फंसकर बाइक चालक दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। गाड़ियों से जाने वाले यात्रियों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अंडरपास में केवल बरसात ही नहीं, कमोबेश पूरे साल पानी रहता है। खासकर बरसात के दिनों में तो यह किसी तालाब से कम प्रतीत नहीं होता।
अंडरपास निर्माण की खामियां हुई उजागर
अंडरपास के निर्माण कार्यों की खामियां चंद दिनों बाद ही सामने आने लगी। यहां पर न लाइट है और न हीं सफाई का इंतजाम। रात होते ही अंडरपास अंधेरे में डूब जाता है। इससे यहां से गुजरने वाले लोगों को हादसा होने का डर बना रहता है। स्थानीय लोगों ने जलनिकासी का उचित प्रबंध करने, सड़क ठीक करवाने व लाइट लगवाने की मांग की, लेकिन उनकी मांग अनसुनी की जा रही है।