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2024 के लोस चुनाव में मुख्य मुकाबला चार पार्टियों के चार उम्मीदवार के बीच माना जा रहा है। चारों उम्मीदवार देवीलाल की पाठशाला से निकले हैं। तीन देवीलाल परिवार के हैं और चौथे ने भी राजनीति की एबीसी देवीलाल से ही सीखी हैं।

बचपन में बुजुर्ग अक्सर राजशाही में सत्ता के संघर्ष की कहानियां सुनाते थे। हिसार लोकसभा सीट पर देवीलाल की राजनीतिक पृष्टभूमि वाले भाजपा, कांग्रेस, इनेलो व जजपा के उम्मीदवारों के बीच चल रहे सत्ता के संघर्ष ने पुरानी कहानियों को फिर ताजा कर दिया है। कहानी की पटकथा वहीं है, हां उसे लड़ने का तरीका बदल गया है। पहले जो संघर्ष घर की चारदीवारी के भीतर होता था, आज वहीं सार्वनजिक रूप से हो रहा है। सत्ता की सीढ़ी का रास्ता बनाने के लिए मंचों से एक दूसरे पर शब्दों के बाण चलाकर पारिवारिक रिश्तों व मर्यादाओं का कत्ल करने में कोई संकोच नहीं दिखाया जा रहा है। 

2018 में बिखरा था चौटाला परिवार 

ओमप्रकाश चौटाला ने देवीलाल की राजनीतिक विरासत को संभाला। 2014 में ओमप्रकाश चौटाला व अजय चौटाला के जेल जाने के बाद चौटाला परिवार की मुश्किल बढ़नी शुरू हो गई थी तथा 2018 परिवार बिखरकर दो हिस्सों में बंट गया। एक की कमान अभय चौटाला तो दूसरे की उनके भतीजे दुष्यंत ने संभाली। लोकसभा चुनाव में एक तरफ ओमप्रकाश चौटाला की बड़ी व छोटी बहू नैना और सुनैना एक दूसरे के सामने चुनाव लड़ रही हैं। 

दूसरी तरफ ओमप्रकाश चौटाला के छोटे भाई रणजीत सिंह मोदी लहर के साथ अपने पिता देवीलाल की विरासत पर दावा ठोककर अपनी भतीज बहुओं के सामने चुनावी रण में उतरे हुए हैं। कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश उर्फ जेपी ने न केवल देवीलाल की पाठशाला में राजनीति की एबीसी सीखी, बल्कि उनकी ग्रीन बिग्रेड का नेतृत्व भी किया था। चुनावी रण जीतने के लिए चलाए जा रहे शब्द बाणों में पारिवारिक रिश्ते व सामाजिक मर्यादाओं की सीमा लांघने में भी कोई संकोच नहीं किया जा रहा। 

1987 में बने थे विधायक 

रणजीत सिंह चौटाला ने राजनीति अपने पिता देवीलाल से सीखी तथा 1987 में रानियां से पहली बार विधायक बने। 1990 में हरियाणा से राज्यसभा सांसद बने। 2019 में रानियां से निर्दलीय विधायक बने और मनोहर सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। 2005 से 2009 तक स्टेट प्लानिंग बोर्ड के चेयरमैन रहे। 

केंद्र की चंद्रशेखर सरकार में राज्यमंत्री रहे

जयप्रकाश ने देवीलाल की पार्टी जनता दल के टिकट पर 1989 में हिसार से लोकसभा का चुनाव जीता तथा चंद्रशेखर सरकार में पेट्रोलियम राज्यमंत्री रहे। 1996 में बंसीलाल हविपा के टिकट पर तथा 2004 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे। अब एक बार फिर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। 

नैना के बाद अब राजनीति के लॉचिंग पैड पर सुनैना 

ओमप्रकाश चौटाला व अजय के जेल जाने के बाद ओपी चौटाला की बड़ी पुत्रवधू नैना चौटाला 2014 में डबावली से विधायक व उनके बेटे दुष्यंत हिसार से सांसद बने। 2018 में परिवारिक विवाद के बाद दुष्यंत ने जननायक जनता पार्टी का गठन किया तथा नैना बाढ़डा से तो दुष्यंत उचाना से विधायक बने। पिछले करीब पांच साल से अपने पति अभय चौटाला के साथ राजनीति में कदम ताल कर रही सुनैना चौटाला पहली बार हिसार लोकसभा सीट पर अपनी जेठानी नैना व चाचा ससुर रणजीत चौटाला के सामने राजनीति के लॉचिंग पैड पर लैंड कर चुकी है। अब सफल लॉचिंग किसकी होती है यह तो चार जून को लोकसभा के नतीजे आने पर ही स्पष्ट हो पाएगा। 
 

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