झज्जर। माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर, कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर। संत कबीर यह दोहा क्षेत्र के गांव सासरौली निवासी इंजीनियर एवं दार्शनिक अभय सिंह पर सटीक बैठता है, जो आजकल महाकुंभ से वायरल हुई एक वीडियो के चलते चर्चा में हैं। खुद से किए गए अपने सवालों के जवाब तलाशने के लिए पिछले करीब चार वर्षों से देश के विभिन्न धार्मिक व तीर्थ स्थलों की पैदल यात्रा कर प्रयागराज के महाकुंभ पहुंचे अभय सिंह ग्रेवाल शहर के डीएच लारेंस के पूर्व छात्र हैं।
पढ़ते समय भी दर्शनशास्त्र से जुड़े रहें
उन्होंने वर्ष 2008 में 731वीं रैंक हासिल करते हुए आईआईटी मुंबई में अपनी जगह बनाई थी। आईआईटी में पढ़ाई के दौरान वे दर्शनशास्त्र से भी जुड़े रहे क्योंकि उनका लक्ष्य स्वयं से किए गए सवालों के जवाब तलाशना था। बचपन से ही अभय सिंह के मन में सवाल उठते थे कि वह क्या है और किस स्थिति में है?, कहां जाना चाहता है?, उसे किसकी सबसे अधिक जरुरत है?। ये सवाल उनके मन को कचोटते रहते थे। इसी कारण उसने आईआईटी मुंबई से एरोस्पेस इंजीनियरिंग और विजुलाइजेशन की मास्टर डिग्री को एक साइड में रखते हुए दो वर्ष तक फोटोग्राफी में महारथ हासिल की।
महंगे पैकेज पर गए थे कनाडा
महंगे पैकेज पर दो साल के लिए कनाडा चले गए। यहां कोविड के दौरान जब उन्हें अकेले रहना पड़ा तो वे महान दार्शनिक जेकृष्णमूर्ति को पढ़ने लगे। जिसके बाद सब कुछ छोड़ कर स्वदेश लौट आए। अपने वतन लौटने पर उन्होंने वैराग्य धारण कर लिया और साधु-संतों की भांति अध्यात्म की राह अपनाई। ललाट पर एक भव्य तेज और चेहरे पर असीम शांति के साथ रूद्राक्ष की माला के मनकों को फेरते हुए मीडिया कर्मी जब भी उन्हें देखते और जिज्ञासावश उनके साधु जीवन के विषय में सवाल करते और उन्हें पता चलता कि वे भौतिक सुख-साधनों से परे कुछ नई और अर्थपूर्ण खोज कर रहे हैं तो हर कोई हैरत में पड़ जाता। उन्होंने अपनी इंस्टाग्राम आईडी पर भी बहुत सी ऐसी पोस्ट डाली जो उनके भीतर चल रहे द्वंद को जाहिर करती हैं। इन पोस्टों को देखकर लोग अपनी बुद्धि एवं ज्ञानानुसार प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं।
अधिवक्ता के इकलौते पुत्र हैं इंजीनियर अभय सिंह
अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र अभय सिंह ग्रेवाल की यदि पारिवारिक जानकारी के बारे में बात करें तो उनके पिता कर्ण सिंह ग्रेवाल एक पेशेवर अधिवक्ता है। उनकी बहन कनाडा में रहती है। लेकिन अभय सिंह ने अपने अतीत की जानकारी किसी के साथ भी शेयर नहीं की। यहां तक उन्होंने घर से निकलने के बाद वैराग्य को अपनाते हुए अपने परिवार के सभी सदस्यों के नंबर भी ब्लाक कर दिए थे। जब प्रयागराज के महाकुंभ से वायरल हुई एक वीडियो में जब उन्होंने स्वयं को हरियाणा निवासी बताया और स्थानीय लोगों ने वीडियो देखी तो यकायक उसका पैतृक गांव और परिवार चर्चा में आ गया। जब उनके पिता से इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि बीते एक वर्ष से अभय को वे सिर्फ व्हाट्सअप पर मैसेज करते हैं जिसके जवाब के लिए भी उन्हें महीनों तक इंतजार करना पड़ता है। पिछले करीब छह माह से अभय द्वारा उनके किसी मैसेज का जवाब नहीं दिया गया।