Nuh: बीते माह नूंह गो टास्क फोर्स टीम ने मेवली गांव की महिला के साथ मारपीट कर उसे झूठे मुकदमें में फंसाने का प्रयास किया, जिसमें अदालत ने महिला को निर्दोष करार दिया। कोर्ट ने महिला को डिस्चार्ज करने का आदेश दिया है। इस पूरे मामले को अब पुलिस की किरकिरी के तौर पर देखा जा रहा है। पीड़ित पक्ष की ओर से नूंह पुलिस अधीक्षक एवं आईजी रेवाड़ी रेंज को गो टास्क प्रभारी राधेश्याम और उसकी टीम के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग जोरशोर से उठाई जा रही है।
विपक्षी नेताओं ने पुलिस कार्रवाई पर उठाए थे सवाल
पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ताहिर देवला ने बताया कि उन्होंने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया, जिसमें वरिष्ठ समाजसेवियों सहित विपक्षी नेताओं ने भी पुलिस कार्रवाई के विरुद्ध रोष प्रकट किया। आखिर मेवली गांव की महिला को निर्दोष पाया गया, जिसे कोर्ट ने डिस्चार्ज करने का दिया है। सोमवार को महिला जेल से बाहर आ गई। बता दें कि बीते 19 जून को गांव मेवली थाना नूंह में जायफा के मकान में सुबह 6 बजे के करीब गो टास्क फोर्स प्रभारी राधेश्याम और साथी कर्मचारियों पर जबरन घर में घुसने के आरोप लगे थे।आरोपों के मुताबिक जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए महिला को अपमानित किया। फिर जबरदस्ती मारपीट कर थाने में ले आए। पीड़ित पक्ष का दावा था कि मकान में रखे फ्रिज में भैंस का दो किलो मांस था। जिसे प्रतिबंधित मांस बताकर गो टास्क फोर्स ने थाने में महिला के साथ लाठियां और घूसों से बेरहमी से मारपीट की।
भैंस के मास को प्रतिबंधित मांस बताकर फंसाने का किया प्रयास
पुलिस ने एक फर्जी मुकदमा दर्ज करते हुए बरामद भैंस के दो किलो मांस को 12 किलो प्रतिबंधित मांस दर्शाया। जबकि मकान में किसी प्रकार का प्रतिबंधित मांस नहीं था। गो टास्क फोर्स प्रभारी राधेश्याम और कर्मचारियों द्वारा महिला से ज्यादा मारपीट करने के कारण महिला की हालत खराब हो गई। पीड़िता के पिता का दावा था कि जिला जेल सलंबा के कर्मचारियों ने बेटी को नल्हड़ मेडिकल में उपचार कराया। इस संदर्भ में नूंह पुलिस अधीक्षक सहित उच्च अधिकारियों को गो टास्क फोर्स प्रभारी और कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायत देकर कार्रवाई की मांग की। हालांकि नूंह गो टास्क फोर्स प्रभारी राधेश्याम ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि पुलिस आरोपी महिला के ठिकाने पर दबिश देने पहुंची थी। जहां पर प्रतिबंधित मांस बरामद हुआ। नियम अनुसार इस मामले में केस दर्ज किया गया। महिला के साथ कोई मारपीट नहीं हुई।
विपक्षी नेताओं ने मामले को जोरशोर से उठाया
पुलिस ने बताया कि महिला के पति पर पूर्व में गो तस्करी और हत्या के मामले दर्ज है। इस घटना से मेवात क्षेत्र में गो टास्क फोर्स पर भेदभाव से कार्रवाई करने के आरोप लगे, जिनके विरुद्ध सोशल मीडिया पर जोर शोर से कार्रवाई करने की मांग उठी। वरिष्ठ अधिवक्ता ताहिर ने पुलिस कार्रवाई के प्रति रोष जाहिर करते हुए लिखा कि एक बार फिर मेवात को हिंसा के लिए उकसाने की शुरुआत की जा रही है, जबकि कांग्रेसी नेता व नूंह विधायक आफताब अहमद ने इसे भेदभाव की कार्रवाई बताया। सोमवार को गौरक्षा दल से जुड़े आचार्य आज़ाद ने स्थानीय विधायक के खिलाफ गलत बयानबाजी की। इस मामले में एडिशनल एसपी सोनाक्षी सिंह को जांच सौंपी गई और 5 दिन में रिपोर्ट देने के निर्देश तत्कालीन एसपी नूंह ने दिए। अब महिला की रिहाई के बाद पुलिस के तमाम आरोपों और कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाना आम बात है।