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Nuh Crime: नूंह में डिलीवरी के दौरान महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई। परिजन का कहना है कि दोनों की मौत जच्चा- बच्चा केंद्र के स्टाफ की वजह से हुई है। स्वास्थ्य विभाग मामले की जांच में जुटा है।

Nuh Crime: नूंह में डिलीवरी के दौरान महिला और उसके नवजात बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के बाद जच्चा-बच्चा केंद्र को बंद करके फर्जी डॉक्टर मौके से फरार हो गए। आरोपियों ने केंद्र के बाहर लिखे नाम को भी मिटा दिया है। परिजन का आरोप लगाया है कि महिला की डिलीवरी का समय नहीं हुआ था। इसके बावजूद डॉक्टर ने नॉर्मल डिलीवरी करने का दबाव बनाया था। स्वास्थ्य विभाग मामले की जांच कर रहा है। विभाग का कहना है कि शहर के अवैध जच्चा-बच्चा केंद्रों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मृतक महिला के पिता ने क्या बताया ? 

सिविल सर्जन डॉक्टर सर्वजीत कुमार के मुताबिक उन्हें पल्ला गांव के रहने वाले मुबारिक घटना के संबंध में बताया है। मुबारिक का कहना है कि उनकी बेटी का नाम आयशा है। 2 दिसंबर यानी सोमवार को आयशा अपने पति दिलशाद के साथ जांच के लिए निजी जच्चा-बच्चा केंद्र गई थी। मुबारिक ने बताया कि केंद्र में मौजूद डॉक्टर ने उन्हें कहा कि वह आयशा की नार्मल डिलीवरी कर देंगे। दिलशाद ने डॉक्टर से कहा कि अभी डिलीवरी का समय नहीं हुआ है। इसके बाद भी डॉक्टर नहीं माने।

केंद्र में मौजूद लुहिंगाकलां के रहने साबिर नाम के डॉक्टर ने दूध में कुछ दवाइयां मिलाकर पिला दीं। जिसके बाद आयशा के मुंह से खून आने लगा और उसकी तबीयत बिगड़ गई। जिसके बाद डॉक्टर साबिर आयशा की जबरन डिलीवरी करने लगा। उस दौरान बच्चा महिला के प्राइवेट पार्ट में फंस गया। करीब ढाई घंटे बाद बच्चे को बाहर निकाला गया, लेकिन बच्चे की मौत हो चुकी थी।

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पति दिलशाद ने क्या कहा ?

दिलशाद का कहना है कि डिलवरी के बाद भी आयशा का खून नहीं रुका। जिसके बाद महिला को नूंह के नलहड़ मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां इलाद इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिवार का कहना है महिला और उसके बच्चे की मौत के लिए निजी जच्चा- बच्चा केंद्र का स्टाफ जिम्मेदार है। डॉक्टर सर्वजीत कुमार का कहना है कि उन्हें वीरवार यानी 5 दिसंबर को मामले के बारे में शिकायत मिली है। फिलहाल स्वास्थ्य विभाग मामले की जांच कर रहा है। 

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