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Jharkhand Election Analysis: जेएमएम नेता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने जनवरी में गिरफ्तार किया था और वे जून में जमानत पर जेल से बाहर आए। उनके लिए 2024 की शुरुआत और अंत इससे ज्यादा अलग नहीं हो सकते।

Jharkhand Election Analysis: झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेता हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने 2024 की शुरुआत और अंत के बीच राजनीति में 360 डिग्री का बदलाव देखा है। 31 जनवरी को जमीन घोटाले के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तब उन्होंने गिरफ्तारी से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन अब साल के आखिरी महीने में सोरेन ने प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी करते हुए INDIA ब्लॉक को झारखंड में सत्ता में बनाए रखा और मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए अपनी दूसरी पारी सुनिश्चित की है।

हेमंत की गिरफ्तारी और JMM में संकट
1) गिरफ्तारी: 31 जनवरी को ईडी ने भूमि घोटाले के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया। जून में झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी, यह कहते हुए कि प्रथम दृष्टया वे दोषी नहीं हैं और उनके अपराध दोहराने की संभावना नहीं है।
2) झारखंड मुक्ति मोर्चा में फूट: मार्च में उनकी भाभी सीता सोरेन (दुर्गा सोरेन की पत्नी) बीजेपी में शामिल हो गईं। सीता सोरेन ने पार्टी से नाराज़गी जताते हुए इसे 'पारिवारिक पक्षपात' का मामला बताया था।
3) झारखंड में अस्थायी नेतृत्व: हेमंत सोरेन की अनुपस्थिति में पार्टी ने जेएमएम के संस्थापक शिबू सोरेन के विश्वास पात्र चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन जुलाई में हेमंत की वापसी के बाद चंपई से इस्तीफा मांगा गया, जिससे वे नाराज होकर अगस्त में बीजेपी में शामिल हो गए।

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चुनावी जीत और गठबंधन की मजबूती
1) जेएमएम का प्रदर्शन:
इस चुनाव में जेएमएम ने 81 सीटों वाली विधानसभा में अपने दम पर 33 सीटें जीतकर 2019 की 30 सीटों से बेहतर प्रदर्शन किया।
2) गठबंधन की ताकत: कांग्रेस, आरजेडी और सीपीआई (माले) के अच्छे प्रदर्शन के साथ गठबंधन ने 57 सीटों पर बढ़त बनाई।
3) बीजेपी का प्रदर्शन: बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA को सिर्फ 25 सीटों पर बढ़त मिली है।

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चुनौतियों के बावजूद वापसी

  • जेएमएम में उथल-पुथल, सीट-बंटवारे में सहयोगियों से तनाव और बीजेपी की ओर से सरकार पर "अवैध घुसपैठ" को बढ़ावा देने के आरोपों के बावजूद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पार्टी को मजबूत बनाए रखा और सत्ता में वापसी सुनिश्चित की।
  • मौजूदा चुनाव में हेमंत सोरेन की इस जीत ने न केवल उनकी राजनीतिक कुशलता को साबित किया है, बल्कि यह भी दिखाया कि एक मजबूत लीडरशिप और गठबंधन के जरिए बड़े से बड़े संकटों का सामना किया जा सकता है।
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