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Bhopal News: राजधानी भोपाल में इन दिनों कुत्ते हिसंक हो गए हैं। बीते 7 दिन में 2 नवजातों को अपना शिकार बना चुके हैं। इधर डॉग स्क्वॉड भी कुत्तों को पकड़ने में नाकाफी साबित पड़ रहा है।

भोपाल (आनंद सक्सेना): सर्दी के दिनों में वाहनों और झाड़ियों के नीचे दुबककर बैठ रहे आवारा कुत्तों को रोटी से ज्यादा मांस की जरूरत रहती है। मांस न मिलने पर इन कुत्तो में विचित्र स्थिति बनती है और हरकत पागलपन जैसी हो जाती है।

यही वजह है कि राजधानी में पिछले 7 दिन में अलग-अलग क्षेत्र में दो नवजात शिशुओं के शवों को लेकर भागे आवारा कुत्ते लेकर भागे। तापमान कम होने या अत्यधिक बढ़ने पर दोनों ही स्थिति में आवारा कुत्ते खूंखार होने लगते हैं। वैसे भी आजकल डस्टबिन या सड़क किनारे गंदगी न होने से आवारा कुत्तों को खाने के लिए कुछ नहीं मिलता। इससे भी यह कुछ न कुछ खाने के लिए लपकते रहते हैं। नगर निगम का डॉग स्क्वायड इन दिनों निष्क्रिय है, जिससे दिनभर में 60 से 70 की जगह 10 या 15 कुत्ते भी नहीं पकड़े जा रहे हैं।

नगर निगम आयुक्त हुए नाराज
नगर निगम आयुक्त ने बुधवार को डॉग स्क्वॉयड की बैठक लेकर नाराजगी व्यक्त की आवारा कुत्तों का पकड़ने की संख्या बढ़ाई जाए। क्योंकि दिसंबर से लेकर जनवरी और फरवरी तक ब्रीडिंग का मौसम रहता है, इसलिए डॉग स्क्वायड को सक्रिए रहकर एबीसी सेंटर भेजने की संख्या बढ़ाई जाए। रोजाना तीनों एबीसी सेंटर में आवारा कुत्तों को भेजने का लक्ष्य 100 के आसपास होना चाहिए। जबकि इस समय 50 से लेकर 55 ही है।

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भोजन के लिए गड्ढा खोद लेते हैं
नगर निगम वेटनरी डॉ. बीपी सिंह के अनुसार नवजात शवों को आवारा कुत्तों ने खोजकर गड्ढों से निकाला होगा। क्योंकि मांस खाना, गिलहरी, छिपकली या चूहे पर भी यह लपकते हैं। वैसे यह मौसम इनका ब्रीडिंग का रहता है, इसलिए सर्दी बढ़ते ही यह खूंखार होने लगते हैं, इसलिए सर्दी में इनसे बचने का प्रयास करना चाहिए।   

नगर निगम के आंकड़े गलत
समाज सेवी जेपीएस राव के अनुसार, शहर में कहीं भी नगर निगम का डॉग स्क्वॉयड दिखाई नहीं देता है। निगम भले ही 50 से लेकर 55 का दावा कर रहा हो, लेकिन 5 या 6 कुत्ते भी नहीं पकड़े जा रहे हैं। डॉग स्क्वायड का अमला पैसा भी मांगता है।

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