प्रशांत शुक्ला, भोपाल।
प्रदेश का वन विभाग बांधवगढ़ में 10 हाथियों के मौत की जांच पूरी भी नहीं कर पाया था कि देवास के पास दुगार्पुर में एक साथ आठ मोरों की मौत का मामला गर्मा गया ह। इस मामले में स्थानीय लोग शिकारी गतिविधियों का अंदेशा जता रहे हे। कई बार शिकारी मोरों को मारने के लिए खेत में अनाज के दानों में चूहामार दवा मिलाकर डाल देते है। वहीं मोर जेसे ही दाने चुगते हं उनकी मृत्यू हो जाती है। हालांकि वन विभाग के अधिकारी शिकारी घटना से इंकार कर रहे है। उनका कहना ह कि पीएम रिपोर्ट के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।
वन विभाग और वेटनरी चिकित्सकों की टीम ने मौके से मृत मोरों के जांच के सेंपल लेकर जांच के लिए भेजा ह। पोस्टमार्टम के बाद मोरों का अंतिम संस्कार भी करा दिया गया है। पूर्व में भी प्रदेश के कई स्थानों पर राष्ट्रीय पक्षी मोर के मौत की घटनाएं हो चुकी है लेकिन उनका खुलासा नहीं हो पाया। एक साथ 8 मोरों की मौत पर वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है। वन विभाग के रिटायर्ड एसीएफ और वाइल्ड लाइफ विशेषज्ञ सुदेश बाघमारे का कहना है कि निश्चित तौर पर एक साथ 8 मोरों की मौत चिंता का विषय है।
मामला शिकारी गतिविधि से जुड़ा हो सकता ह। मुख्य तौर पर शिकारी मोर का मांस खाने के लिए उनको मारते है। इस तरह की कई घटनाएं भी सामने आ चुकी है। इस तरह की घटनाओं में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जहर से मौत होने का खुलासा तो हो सकता है लेकिन यदि शिकारियों ने कोई घटना कारित की है तो यह सिद्ध हो पाना मुश्किल काम है।
बड़ा सवाल : वाइल्ड लाइफ विंग को मामले की भनक नहीं ?
भले ही वन विभाग के स्थानीय अधिकारी इस मामले की जांच कर रहे हों पर सवाल यह उठ रहा है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर की मौत के मामले की जानकारी प्रदेश की वाइल्ड लाइफ विंग को अभी तक क्यों नहीं लगी। इस खुलासा हो रहा है कि इतने बड़े मामले को लेकर भी वन विभाग के अधिकारी संवेदनशील नहीं है। इस मामले में एपीसीसीएफ एल कृष्णमूर्ति का कहना है कि अभी तक उन्हे इस मामले की जानकारी नहीं है। जल्द ही पता करके इस संबंध में रिपोर्ट मांगी जाएगी।