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Bhopal: भोपाल नगर निगम ने नए सिरे से टेंडर बुलाए, जिससे कई कंपनियों ने अब रूचि दिखाई और टेंडर ओपन हो गए। इन टेंडरों की टेक्निकल जांच चल रही है और जल्दी नए सिरे से पूरे भोपाल में नई पाईप लाइन बिछाई जाएगी और 40 नए ओवरहैंड टैंक बनेंगे।

आनंद सक्सेना, भोपाल: भारत सरकार ने 2024 तक देश के प्रत्येक घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन भोपाल में इस योजना के तहत किसी कंपनी का काम में रुचि नहीं लेना था। भोपाल नगर निगम ने नए सिरे से टेंडर बुलाए, जिससे कई कंपनियों ने अब रूचि दिखाई और टेंडर ओपन हो गए। इन टेंडरों की टेक्निकल जांच चल रही है और जल्दी नए सिरे से पूरे भोपाल में नई पाईप लाइन बिछाई जाएगी और 40 नए ओवरहैंड टैंक बनेंगे।

नगर निगम द्वारा पिछले एक साल से इस योजना के तहत टेंडर निकाल जा रहे थे, लेकिन किसी कंपनी ने टेंडर प्रक्रिया में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई थी। इस साल दोबारा टेंडर प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई थी, जिसमें पूरे देश से कई कंपनियों ने इसमें भाग लिया। नगर निगम ने इस बार नए सिरे से संशोधन कर टेंडर जारी किए थे। इसलिए अब उम्मीद बंधी है कि इस साल भोपाल में हर घर को नल कनेक्शन देने के लिए पाईप लाइन बिछने और नए ओवरहैड टैंक बनाने का काम शुरू हो जाएगा।

80 हजार घरों को है नल कनेक्शन का इंतजार 
भोपाल में करीब 80 हजार घरों को अभी भी नल जल का इंतजार है। वहीं इसके तहत ही कवर्ड कैंपस में मौजूद घरों को भी बल्क की जगह व्यक्तिगत नल कनेक्शन देना था, लेकिन पहले 80 हजार घरों को नल जल देने के बाद ही कवर्ड कैंपस में कनेक्शन दिए जा सकते हैं। इस योजना में शहर के विभिन्न हिस्सों में 40 नए ओवरहेड टैंक बनना है। इनके माध्यम से ही नए कनेक्शन जोड़े जाएंगे।

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379 करोड़ में काम करने तैयार नहीं थीं एजेंसियां
अधिकारियों के अनुसारए 379 करोड़ रुपए की लागत से पानी सप्लाई नेटवर्क तैयार का प्रोजेक्ट करने के लिए कंपनी या निर्माण एजेंसी तैयार नहीं हो रही थीं। यह राशि कम लग रही है। कुछ कंपनियां लागत में 20 फीसदी तक बढ़ोतरी करने की बात कह चुकी हैं।

निगम को देना होगा 17 फीसदी राशि
अमृत 2 के लिए बनी केंद्र व राज्य की साधिकार समितियों से 379 करोड़ रुपए की योजना के लिए मंजूरी मिली है। यदि इससे अधिक लागत पर टेंडर मंजूर किया जाता तो अंतर की राशि नगर निगम को देनी पड़ती। यह निगम के लिए किसी भी स्थिति में संभव नहीं था। इसके पीछे वजह यह है कि पहले से ही मंजूर परियोजना लागत की 17 फीसदी राशि निगम को देना है। यह राशि लगभग 63 करोड़ रुपए है। बीएमसी के लिए इसकी व्यवस्था करना ही मुश्किल थी। इसलिए टेंडर में संशोधन किया गया।

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