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Sukanya Samriddhi Yojana Fraud Indore: मध्य प्रदेश के इंदौर में उपभोक्ता आयोग ने 7 मई को 13 साल पुराने केस में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इसमें सुकन्या समृद्धि योजना के तहत चार साल के लिए जमा की गई राशि SBI ने लौटाने से इनकार कर दिया था।

Sukanya Samriddhi Yojana Fraud Indore: बेटी के बेहतर भविष्य के लिए इंदौर निवासी एक व्यक्ति ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)में 40-40 हजार की तीन FD (फिक्स डिपोजिट) कराई थी, लेकिन 4 साल बाद पॉलिसी मैच्योर हुई तो बैंक ने भुगतान करने से मना कर दिया। कहा, ऐसा अकाउंट ही नहीं है। यह सुन वह घबरा गए, लेकिन हार नहीं मानी, उपभोक्ता फोरम में पहुंचे। जहां पिछले दिनों 13 साल बाद न्याय मिला है। 

इंदौर के न्यायमित्र शर्मा (50) ने समृद्धि योजना के तहत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में बेटी के नाम से 40-40 हजार की तीन FD कराई थी। दो FD के 80 हजार रुपए उन्होंने अपने खाते से ट्रांसफर किए। जबकि, तीसरी एफडी के लिए 40 हजार रुपए नकद दिए थे, लेकिन मार्च 2011 में तय मैच्योरिटी डेट पर वह जब रसीदें और जमा प्रमाण-पत्र लेकर बैंक पहुंचे तो कर्मचारियों ने कह दिया कि आपकी दो रसीदें सही है, लेकिन तीसरी रसीद गलती से जारी हो गई है। उसके रुपए नहीं मिलेंगे। आपने दो एफडी ही कराई है।  

न्यायमित्र शर्मा ने पहले तो बैंक प्रबंधन से बात की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई तो कानूनी नोटिस देकर जिला उपभोक्ता आयोग की शरण ली। वहां वह केस जीत गए, पक्ष लेकिन बैंक प्रबंधन ने राज्य आयोग में अपील कर दी। न्यायमित्र शर्मा राज्य आयोग में भी केस जीत गए हैं। 

बैंक का तर्क: तकनीकी दिक्कत के चलते जारी तीसरी रसीद 
राज्य आयोग में बैंक ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि कम्प्यूटर में तकनीकी दिक्कत के चलते उन्हें हाथ से रसीद जारी कर दी गई थी। दो रसीदों पर खाता नंबर दर्ज है, लेकिन तीसरी के रुपए जमा न होने के कारण खाता नंबर नहीं है। रसीद पर अफसर के साइन भी नहीं हैं। 

गलती छिपाने बैंककर्मियों ने मिटाए हस्ताक्षर 
न्यायमित्र शर्मा ने ओरिजनल रसीद की फोटोकॉपी पेश करते हुए कहा, बैंक के अधिकृत व्यक्ति ने साइन किए थे। सील भी लगी है। गलती छिपाने के लिए बैंक कर्मचारी साइन हटाकर रसीद पेश कर रहे हैं। 

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