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मध्यप्रदेश शासकीय कर्मचारी एकता रंगमंच के तत्वावधान में शुक्रवार को हिंदी भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम 'धमा चौकड़ी आयोजित किया गया। इसमें महिला रचाकारों ने नृत्य, गायन और कविताओं के माध्यम से रंगपंचमी की पूर्व संध्या पर प्रस्तुति दी।

भोपाल। मध्यप्रदेश शासकीय कर्मचारी एकता रंगमंच के तत्वावधान में शुक्रवार को हिंदी भवन में सांस्कृतिक कार्यक्रम 'धमा चौकड़ी आयोजित किया गया। इसमें महिला रचाकारों ने नृत्य, गायन और कविताओं के माध्यम से रंगपंचमी की पूर्व संध्या पर प्रस्तुति दी। साथ ही शहर की प्रख्यात कवियित्रियों ने अपनी रचनाओं की सुगंध बिखेरी। इस दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाली विभूतियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में वंदना पांडे, उपसंचालक, संस्कृति संचालनालय उपस्थित रहीं। 

कविताओं के मंच पर सबसे पहले सीमा शिवेन्द्र ने पढ़ा 
- मेरी होली भी तुम हो,
 तुम ही मेरी दिवाली हो
कई रंगों से भरी-पूरी
होली की पिचकारी हो। 

आगे मृदुल त्यागी ने फागुन की बहार पर कविता पढ़ा 
-फागुन का महीना आते ही
होली की बारी आती है
रंगों का त्योहार लिए 
प्रकृति रंगीन हो जाती है। 

सविता बांगड़ 'सुर ने राजस्थानी रंग पर केंद्रित रचना में कहा 
-कैसी होली श्याम मचावे रे,
नाच रे गोपाल, सखियां ताल मिलावें रे

सीमा शैल ने होली की उमंग पर पढ़ा- 
हुरियारों का वेश बनाया, श्याम होली खेलने आया

प्रियंका श्रीवास्तव ने होलिका पर कहा कि-
वेदना पहुंची चरम पर तब सुखद यह काल आया
होलिका जलती रही फिर बच निकल प्रहलाद आया

अंत में सीमा स्वरागिनी खरे ने पढ़ा-
ऐ री सखी पिया नहीं आए, सावन बेरंग जाये री

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