भोपाल, दीपेश कौरव। हाल ही में एजुकेशन वल्र्ड स्कूल रैंकिंग जारी की गई है। इसमें सरकारी स्कूलों की टॉप 10 की सूची में भोपाल के शासकीय मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल टीटी नगर लगातार तीसरी बार टॉप 10 में जगह बनाई है। हालांकि प्रदेश का अन्य कोई सरकारी स्कूल इसमें अपनी जगह नहीं बना पाया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर कई नवाचार और बदलाव के बाद भी राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के सरकारी स्कूल कहां पिछडे़ हैं। इसी सवाल को लेकर हरिभूमि ने कुछ सरकारी स्कूलों के प्राचार्यों और शिक्षक संगठनों से चर्चा की।
इस चर्चा में सरकारी स्कूलों का बजट और मॉनिटरिंग बढ़ाने की जरूरत बताई गई है। प्राचार्यों और शिक्षक संगठन का मानना है कि सरकार बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था की दिशा में लगातार काम कर रही है। हालांकि स्कूलों के बजट में बढ़ोत्तरी, ठोस मॉनिटरिंग और शैक्षणिक स्टाफ की जरूरत है। इसके साथ ही अगर स्कूलों में शिक्षकों पर पढ़ाने के अलावा अन्य कार्य का दबाव न होने पर ज्यादा बेहतर परिणामों की उम्मीद की जा सकता है।
50 फीसदी स्कूलों में नियमित प्राचार्य उपलब्ध नहीं
सरकार के प्रयासों से भोपाल सहित प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदली है। हालांकि अभी भी बहुत सुधार की जरूरत है। इसमें सबसे प्रमुख स्कूलों में प्राचार्यों व शैक्षणिक स्टाफ की पूर्ति हैं। प्रदेश के 50 फीसदी स्कूलों में नियमित प्राचार्य उपलब्ध नहीं है। ऐसे में यहां प्रभारी प्राचार्य के भरोसे व्यवस्थाएं संचालित हो रहीं हैं। प्राचार्यों को एकेडमिक लीडरशिप प्रशिक्षण का अभाव है। इसके अलावा किसी प्रकार के निर्णय के लिए अनुमति की जो व्यवस्था है, वह बहुत जटिल है। इसके लिए थोड़ी स्वायत्तता की आवश्यकता है।
इसके अलावा कई स्कूलों में आज भी भवन की व्यवस्थाएं बेहतर नहीं है, जिससे का सबसे अधिक असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ता है। स्कूलों में कार्यालीन स्टाफ की कमी के चलते अधिकतर कार्य शिक्षकों को ही करना पड़ता है। इसके साथ ही बीएलओ डयूटी सहित अन्य कार्यक्रमों में शिक्षकों की डयूटी लगाया जाना शैक्षणिक कार्य को बाधित करता है। जबकि शिक्षकों से केवल शैक्षणिक कार्य ही कराए जाने चाहिए, इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
मुकेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष
समग्र शिक्षक, व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ
ठोस मॉनिटरिंग भी होना चाहिए
प्रदेश के सरकारी स्कूलों को लेकर सरकार काम कर रही है। पहले की तुलना में काफी बदलाव भी आए हैं। सरकारी स्कूलों में भवन सहित अन्य सुविधाएं महत्वपूर्ण होती है। जिसपर ध्यान देने की विशेष जरूरत है। स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त शिक्षक होने चाहिए। इसके अलावा ठोस माॅनिटरिंग भी होना चाहिए। इसके अलावा व्यवसायिक शिक्षा की दिशा में भी काम होना चाहिए। शैक्षणिक स्टाफ पर स्कूलों में पढ़ाने के अलावा अन्य कार्य का दबाव न हो तो ज्यादा बेहतर परिणाम नजर आएंगे।
ब्रजेंद्र कुमार कटारे, प्राचार्य
शास. पीएमश्री उमा विद्यालय, जम्मू सरकला
सरकारी स्कूलों का बजट बढ़ना चाहिए
प्रदेश व केंद्र सरकार सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा व्यवस्था मुहैया कराने के बहुत प्रयास कर रही है। नतीजन सुधार भी नजर आ रहा है। कुछ जगह पर कमी बनी हुई है। किसी भी स्कूल में सबसे अहम होता है उसका स्ट्रक्चर, जो वर्तमान में सभी स्कूलों में समान नहीं है। इसके अलावा सरकारी स्कूलों में बजट निर्धारित होता है, जो कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए काफी कम है। सरकारी स्कूल सरकार द्वारा मिलने वाली राशि से ही संचालित होता है। ऐसे में एक निजी स्कूल या फिर माॅडल की बराबरी करना संभव नहीं है। वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए सरकारी स्कूलों का बजट बढ़ना चाहिए। इसके अलावा माॅडल, सीएम राइज की तर्ज पर अन्य सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाएं होना चाहिए। सभी जगह पर स्टाफ पूरा नहीं है, इसका असर भी पढ़ाई पर पड़ता है।
शिक्षा यादव, प्राचार्य
शास. नवीन उमा विद्यालय, बागसेवनिया