MP Sahara Land Scam: MP आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) ने करोड़ों रुपए के सहारा लैंड स्कैम का खुलासा किया है। EOW का दावा है कि भोपाल, कटनी और जबलपुर में सहारा समूह की 310 एकड़ जमीनों को गैरकानूनी ढंग से औने पौने दामों पर बेचा गया है। यह करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा है। आरोप है कि जमीन बेचने से मिली रकम निवेशकों को लौटाने के बजाय निजी कंपनियों के खातों में भेज दी गई। भाजपा विधायक संजय पाठक EOW की जांच के घेरे में हैं। संजय पाठक और उनके परिजनों पर इन सौदों में शामिल होने का आरोप है।

करोड़ों की जमीन औने-पौने दाम में बिकी
सहारा समूह की जिन जमीनों की बाजार कीमत 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा थी, उन्हें महज 90 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। भोपाल में 600 करोड़ रुपए कीमत की 110 एकड़ जमीन सिर्फ 48 करोड़ में बेच दी गई। जबलपुर और कटनी में भी 100-100 एकड़ जमीन, जिसकी बाजार कीमत क्रमशः 200 करोड़ और 180 करोड़ थी। इन दोनों जमीनों को भी सिर्फ 20 करोड़ और 22 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। इन सौदों से सहारा के निवेशकाें को भारी नुकसान हुआ है। इन जमीनों को बेचने के बाद आए पैसे निवेशकों को नहीं लौटाए गए। 

BJP विधायक संजय पाठक पर गंभीर आरोप
इस घोटाले में भाजपा विधायक संजय पाठक और उनके परिवार का नाम सामने आया है। आरोप है कि इन जमीन सौदों में शामिल कंपनियों में पाठक की मां निर्मला पाठक और बेटे यश पाठक शेयरहोल्डर हैं। शिकायतकर्ता आशुतोष दीक्षित ने कहा कि पाठक और उनकी कंपनियों ने सहारा की जमीनों को औने-पौने दाम पर खरीदा। पाठक से जब पक्ष जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।  

निवेशकों के साथ हुआ करोड़ों का धोखा
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निर्देश दिया था कि जमीनों को बेचकर मिली राशि निवेशकों को लौटाई जाए। इसके लिए सेबी-सहारा के रिफंड खाते में रकम जमा करनी थी। लेकिन यह राशि वहां जमा न कर निजी कंपनियों को ट्रांसफर कर दी गई। इस घोटाले से निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। साथ ही यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना भी है। कई साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद कोर्ट ने भले ही निवेशकों को पैसे वापस लौटाने के निर्देश दे दिए हों, लेकिन इस फर्जीवाड़े की वजह से अब जमीनें भी बिक गई और पैसा उन तक नहीं पहुंचा। 

स्टाम्प ड्यूटी चोरी की बात आई सामने 
इस मामले में स्टाम्प ड्यूटी चोरी के भी आरोप लगे हैं। सहारा समूह की आवासीय जमीन को कृषि भूमि बताकर रजिस्ट्री की गई। इससे सरकारी राजस्व को करोड़ों का नुकसान हुआ। भोपाल, कटनी और जबलपुर में इन जमीनों की रजिस्ट्री की गई। EOW ने अब पता लगाना शुरू कर दिया है कि इस धोखाधड़ी से सरकारी राजस्व को कितना नुकसान हुआ है। इस फर्जीवाड़े में सहारा की संलिप्तता की भी गहराई से जांच की जाएगी। 

EOW की जांच से खुलेंगे राज
EOW ने इस मामले में प्राथमिक शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जांच के दायरे में सहारा समूह के अधिकारी, संबंधित कंपनियां और राजस्व अधिकारी भी हैं। EOW के डीजी उपेंद्र जैन ने कहा कि यह मामला निवेशकों से धोखाधड़ी का है। जांच में यह स्पष्ट हो जाएगा कि सहारा और इन कंपनियों ने कितनी बड़ी वित्तीय अनियमितताएं की हैं।  जैसे जैसे जांच आगे बढ़ेगी, इस फर्जीवाड़े में कई और बड़े लोगों और अफसरों के नाम सामने आ सकते हैं।