रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा द्वारा जारी किए गए एक आदेश से जिले के छात्र-छात्राओं में भारी आक्रोश व्याप्त है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एनईपी प्रथम एवं द्वितीय वर्ष (बीए, बीएससी, बीकॉम, बीबीए, बीसीए एवं बीएचएससी) की नियमित पूरक परीक्षा 2024 को जिला स्तरीय घोषित कर दिया है, जिससे छात्रों को भारी असुविधा हो रही है।
सरकारी कॉलेज होते हुए निजी महाविद्यालयों में परीक्षा क्यों?
गौरतलब है कि रीवा विश्वविद्यालय द्वारा सतना स्थित विट्स कॉलेज एवं सीधी स्थित टाटा कॉलेज को परीक्षा केंद्र के रूप में निर्धारित किया गया है, जबकि इन जिलों में शासकीय महाविद्यालय भी मौजूद हैं, जो परीक्षा आयोजित करने में पूरी तरह सक्षम हैं। यह निर्णय संदेह के घेरे में है कि आखिर सरकारी संसाधनों की उपेक्षा कर निजी संस्थानों को परीक्षा केंद्र बनाने का क्या औचित्य है?
छात्रों को आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना ?
ग्रामीण एवं दूर-दराज के छात्र-छात्राओं के लिए यह निर्णय अत्यधिक कष्टदायक साबित हो रहा है। पहले ही सीमित संसाधनों में पढ़ाई करने वाले गरीब परिवारों के छात्रों को अब लंबी दूरी तय करके परीक्षा केंद्र तक पहुंचना पड़ेगा, जिससे उनका आर्थिक एवं मानसिक शोषण हो रहा है। एक ओर मध्य प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीब एवं वंचित छात्रों को लाभान्वित करने का प्रयास कर रही है, वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा ऐसा फरमान जारी कर उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया गया है।
क्या किसी को फायदा पहुंचाने की योजना?
इस निर्णय से विश्वविद्यालय प्रशासन की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या यह आदेश किसी निजी महाविद्यालय को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ पहुंचाने के लिए जारी किया गया है? क्या इसमें किसी स्तर पर मिलीभगत की संभावना है? यह गंभीर जांच का विषय है।