Saurabh Sharma Case: मध्य प्रदेश परिवहन विभाग (RTO) के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा केस में बड़ा अपडेट है। ग्वालियर पुलिस ने सौरभ शर्मा और उसकी मां उमा शर्मा के खिलाफ FIR दर्ज की है। सहायक परिवहन आयुक्त किरन कुमार की शिकायत पर सिरोल थाने में शुक्रवार (21 मार्च) की रात धोखाधड़ी का केस दर्ज हुआ। इधर मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सौरभ शर्मा केस की डायरी सार्वजनिक करने की मांग की है।
ग्वालियर एएसपी निरंजन शर्मा का बयान
#WATCH ग्वालियर: ग्वालियर एएसपी निरंजन शर्मा ने कहा, "परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा और उनकी मां के द्वारा टांसपोर्ट में अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में फर्जी शपथ पत्र दिया गया था। दोनों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज़ किया गया है।" pic.twitter.com/pIwuWtPZR7
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 22, 2025
बड़े बेटे की सरकारी नौकरी की बात छिपाई
पुलिस के मुताबिक, एक जनवरी 2025 को संयुक्त परिवहन आयुक्त (प्रशासन) की तरफ से एक एक पत्र मिला था। पत्र में सेवानिवृत परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा की नियुक्ति को लेकर दिए गए शपथ पत्र की जांच के निर्देश थे। किरन कुमार ने शिकायत में सर्विस रिकॉर्ड मंगाया। जांच हुई तो पता चला कि सौरभ शर्मा ने शपथ पत्र में बड़ा भाई सचिन शर्मा की छत्तीसगढ़ में सरकारी नौकरी का जिक्र नहीं किया। उमा शर्मा ने सौरभ की नियुक्ति के शपथ पत्र दिया था। पत्र में बड़े बेटे की सरकारी नौकरी की बात छिपाई थी।

ऐसे खुला राज
इसके बाद छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त विभाग से संपर्क किया। वेबसाइट से कर्मचारियों की सूची निकाली तो सौरभ के बड़े भाई सचिन शर्मा के सड़क विकास निगम रायपुर में तैनात होने की पुष्टि हुई। बस यहीं से राज खुल गया। शपथ पत्र झूठे होने का प्रमाण मिला है। इस पर पुलिस ने सौरभ और उसकी मां उमा शर्मा पर धोखाधड़ी और अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है।
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जानिए पूरा मामला
- लोकायुक्त ने 19 दिसंबर को आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर पर छापामार कार्रवाई की थी। लोकायुक्त को 2.95 करोड़ कैश, दो क्विंटल वजनी चांदी की सिल्लियां, सोने-चांदी के जेवरात और कई प्रापर्टी के दस्तावेज मिले थे। गुरुवार रात को ही भोपाल के मेंडोरी के जंगल में एक कार से 54 किलो सोना और 11 करोड़ कैश मिले थे।
- कार सौरभ के दौस्त चेतन सिंह की थी। सौरभ तभी से फरार था। पुलिस लगातार उसकी तलाश में दबिश दे रही थी। 23 दिसंबर को मामले में ईडी की एंट्री हुई थी। ईडी ने सौरभ और उसके सहयोगी चेतन गौर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। इसके बाद से ही ED, IT और लोकायुक्त के बाद डीआरआई (डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस) की कार्रवाई जारी है।