Guillain-Barre syndrome: महाराष्ट्र में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अब तक 192 संदिग्ध सामने आए हैं। इनमें से 167 की पुष्टि हो चुकी है। इस बीमारी से ग्रसित 7 लोगों की मौत भी हो चुकी है। हाल ही में पुणे निवासी 37 वर्षीय वाहन चालक की मृत्यु हुई है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से लगातार हो रही मौतों से लोग डरे हुए हैं। हालांकि, महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को प्रेस नोट जारी कर बताया कि GBS से घबराने की जरूरत नहीं है। इससे प्रभावित 172 मरीज क्योर किए जा चुके हैं। जिन 7 मौतें की बात की जा रही है, उनमें से 4 मौतें तो GBS से हुई हैं, लेकिन 3 की रिपोर्ट संदिग्ध आई है।
A total of 192 suspected patients have been detected to date. Of these, 172 patients were diagnosed with GBS. A total of 7 deaths have occurred. Of these, 4 deaths were confirmed as GBS and 3 suspected deaths were reported. 40 patients from Pune MC, 92 from newly added villages… pic.twitter.com/NAmySYSbXx
— ANI (@ANI) February 11, 2025
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है?
GBS एक दुर्लभ ऑटोइम्यून विकार है। इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता गलती से तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है। इससे मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नता और गंभीर मामलों में पक्षाघात का खतरा बढ़ जाता है। यह स्थिति अक्सर बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण के बाद उत्पन्न होती है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के लक्षण
- मांसपेशियों में कमजोरी या सुन्नता, जो पैरों से शुरू होकर ऊपर की ओर बढ़ती है।
- चलने या सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाई।
- चेहरे या आंखों की मांसपेशियों में कमजोरी।
- बोलने, चबाने या निगलने में कठिनाई।
- गंभीर मामलों में, सांस लेने में कठिनाई।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से बचाव
- स्वच्छ पेयजल का उपयोग करें और दूषित पानी से बचें, क्योंकि कुछ मामलों में दूषित पानी से संक्रमण का खतरा हो सकता है।
- हाथों की सफाई का ध्यान रखें; खाने से पहले और शौचालय के बाद हाथ धोएं।
- यदि मांसपेशियों में कमजोरी या उपरोक्त लक्षण महसूस हों, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें।
पुणे में 104 मरीज ठीक हो चुके
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया कि पुणे एमसी से 40 मरीज़, पीएमसी क्षेत्र में नए जोड़े गए गांवों से 92, पिंपरी चिंचवाड़ एमसी से 29, पुणे ग्रामीण से 28 और अन्य जिलों से 08 मरीज़ मिले हैं। इन मरीजों में से अब तक 104 को छुट्टी दे दी गई है। 50 आईसीयू में भर्ती हैं। जबकि, 20 वेंटिलेटर पर हैं।
युवाओं और बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम छोटे बच्चों और युवाओं के लिए ज्यादा खतरनाक है। अब तक सामने आए 172 मरीजों में से 111 मरीज 40 साल से कम उम्र के हैं। सर्वाधिक 42 मरीजों की आयु 20 से 30 वर्ष के बीच है। जबकि, 20 वर्ष से कम के 46 मरीज हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर
स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 020-25501269, 25506800 और 7758933017 जारी किए हैं। साथ ही अलग अलग टीमें गठित की हैं, जो प्रभावित इलाकों में पहुंचकर जांच-परामर्श दे रही हैं।