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उमरिया निवासी कमलेश सिंह गोंड बहन के घर से लौट रहे थे। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के बफर जोन में बाघ ने हमला कर दिया। किसी प्रकार पेड़ पर चढ़कर उनसे जान बचाई। रातभर मदद की गुहार लगाई।

भोपाल. जब मौत सामने हो तो कैसे हिम्मत और धैर्य के बूते अपनी जान बचाई जाए। बचपन में आपने ऐसी सीख देने वाली कहानियां पढ़ी होंगी, लेकिन मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में स्थित एक गांव में हुई ये घटना आपके रोंगटे खड़े कर देगी। युवक ने कैसे जंगल में मिले आदमखोर बाघ को चकमा देकर जान बचाई, पढ़िए विस्तार से...

मामला कुछ ऐसा है कि टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश के धमखोर बफर क्षेत्र में धावड़ा कालोनी उमरिया निवासी कमलेश सिंह गोंड बहन के घर से लौट रहे थे। रास्ता जंगली था और अंधेरा भी हो चुका था। रस्ते में किसी से लिफ्ट मिल जाए इस उम्मीद से वह पैदल ही घर की ओर निकल पड़ा था। आगे घने जंगल में उसे 2 से 3 सूकर दौड़ते हुए दिखे। इन्हें देखर कमलेश भी दूसरी ओर भागने लगा। लेकिन उसे इसका इल्म नहीं था कि बाघ सूकरों को छोड़कर उसके पीछे लग जाएगा। इतने में पीछे से बाघ ने पंजा मारकर उसे जख्मी कर दिया।

Tiger Attack Kamlesh
बाघ के हमले में जख्मी कमलेश गोंड का सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है।

मदद के इंतजार में सुबह हो गई

फिर भी उसने संयम नहीं खोया और मुश्किल वक्त में सूझबूझ से काम लेते हुए एक पेड़ पर चढऩे में सफल हो गया। बाघ रातभर वहीं पेड़ के नीचे बैठा रहा। घुप अंधेरे में कमलेश ने मदद के लिए आवाज लगाई, लेकिन कहीं से कोई आशा की किरण नजर नहीं आई। कोई राहगीर भी वहां से नहीं निकला। मदद के इंतजार में सुबह हो गई, लेकिन उसने घैर्य नहीं खोया। सुबह कुछ ग्रामीण आए और उसे पेड़ से उतारकर अस्पताल भेजा। उसके पैर व जंघा में चोट आई है।

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