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Rajasthan News: राजस्थान में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की गुरुवार को पहली प्रतिमा का अनावरण हुआ। प्रतिमा का अनावरण गंगापुर जिले के मुंडिया गांव में हुआ, इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई बड़े नेता पहुंचे थे।

Rajasthan News: राजस्थान में गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला की गुरुवार को पहली प्रतिमा का अनावरण हुआ। प्रतिमा का अनावरण गंगापुर जिले के मुंडिया गांव में हुआ, इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा सहित कई बड़े नेता पहुंचे थे। बता दें, कर्नल बैंसला का मार्च 2022 में निधन हो गया था। 2004 में सबसे पहले उन्होंने पूरे राजस्थान के अंदर गुर्जर समाज को अलग से आरक्षण देने की मांग उठाई थी।

कर्नल किरोड़ी बैंसला के नाम एजुकेशन इंस्टीट्यूट की घोषणा
कार्यक्रम में शामिल सीएम भजनलाल ने कहा- कर्नल साहब का सपना था कि हर व्यक्ति को अच्छी सेहत और शिक्षा मिले। उन्होंने हमेशा से ही बालिका शिक्षा पर जोर दिया है। हमारी सरकारी भी इसी ओर काम कर रही है। सीएम ने मंच से ही कर्नल किरोड़ी बैंसला के नाम एजुकेशन इंस्टीट्यूट की घोषणा की है।

कौन हैं कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला
बता दें, कर्नल बैंसला का फौज में थे, जिनका जन्म करौली जिले के मुड़िया गांव में 12 सितंबर 1939 को हुआ था। कर्नल बैंसला के पिता बच्चू सिंह बैंसला भी फौज में सेवाएं दे चुके हैं। बैंसला सिपाही के पद पर भर्ती हुए, लेकिन बाद में इंटरनल एग्जाम पास करते हुए कर्नल पदों तक की जिम्मेदारी संभाली।

1962 और 1965 के युध्द के दौरान दिखाई थी बहादुरी
कर्नल बैंसला 1962 में राजपूताना राइफल्स में तैनात भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान बहादुरी दिखाई थी। 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी फौज की पकड़ में आ गए थे। जिसके बाद वे कई महीनों तक पाकिस्तान की कैद में रहे। जहां उन्हें पाकिस्तानी आर्मी द्वारा काफी टॉर्चर भी किया गया। लेकिन इसके बावजूद भी पाकिस्तान उनसे कुछ नहीं उगलवा पाया।

रिटायरमेंट के बाद रखी आरक्षण की नींव
कर्नल बैंसला 1991 में फौज से रिटायर हो गए। इसके बाद उन्होंने काफी समय गांव में गुजारा और यहीं से गुर्जर आरक्षण आंदोलन की नींव रखी। काफी समय तक पटरी पर बैठकर आंदोलन करने से वह आरक्षण आंदोलन का प्रमुख चेहरा बन गए थे। लंबे समय तक चले आरक्षण आंदोलन के बाद राजस्थान सरकार ने गुर्जर सहित पांच जातियों को ओबीसी के साथ मोस्ट बैक वर्ड क्लास (एमबीसी) में अलग से आरक्षण दिया था।

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