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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के लिए रामलला की स्पेशल पोशाक तैयार कराई गई है। मंदिर प्रबंधन ने रविवार को प्रमुख पुजारी को यह पोशाक उपलब्ध कराई। साथ में चादी का शंख, ध्वज सहित अन्य सामग्री भी सौंपी गई है।

Ayodhya Ram Mandir: श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनकर तैयार है। 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है। हर ओर उत्सव का माहौल है। मंदिर को आकर्षक तरीके से सजाया जा रहा है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए रामलला को विशेष पोशाक तैयार कराई जाएगी। रविवार को राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के प्रबंधक ने मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास को यह पोशाक सौंप दी। पोशाक के साथ उन्होंने ध्वज भी भेंट किया है। जिसे मंदिर परिसर में लगाया जाएगा। ध्वज पूजा पिछले साढ़े सात दशक यानी 23 दिसंबर 1949 से की जा रही है। 

रामलला की पोशाक तैयार करने वाले शंकरलाल पहाड़ी ने बताया कि उनका परिवार 1985 से रामलला के लिए वस्त्र सिलता आ रहा है। पहले पिता और बड़े भाई करते थे। 85 से 90 तक जन्मभूमि में जाकर वस्त्रों की सिलाई की जाती थी, लेकिन गुम्बद गिरने के बाद घर पर ही भगवान की पोशाक बनाते हैं। कपड़े मंदिर प्रबंधन द्वारा उपलब्ध कराई जाती है।

शंकरलाल ने बताया कि भगवान की पोशाक हर दिन अलग कलर की होती है। राम विवाह, राम जन्मोत्सव जैसे अवसर पर यह स्पेशल होती है। प्राण प्रतिष्ठा के लिए मेरे हिसाब से पीली पोशाक शुभ रहेगी। हालांकि, मंदिर प्रबंधन ने जानकारी नहीं दी है।

शंकरलाल ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए पीली और इसके बाद सफेद पोशाक मेरे हिसाब से बेहतर रहेगी। दर्जी शंकरलाल ने बताया कि भगवान राम के चार भाई हैं, सभी बाल अवस्था में हैं। ठंड का सीजन है, इसलिए मखमली पकड़े की पोशाक होनी चाहिए। सभी भाइयों की पोशाक एक भी हो सकती है और अलग भी हो सकती है। 

Ayodhya Ram Mandir
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ऐसी है रामलला की मूर्ति
अयोध्या में नवनिर्मित मंदिर के लिए भगवान राम की 51 इंच लंबी मूर्ति बनवाई गई है। यह 1.5 टन वजन है। 16 जनवरी से मूर्ति पूजा शुरू होगी और 18 को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। मूर्ति का सिर, मुकुट और आभा बारीकी से तैयार किया गया है। इसमें लोहे का इश्तेमाल नहीं हुआ, क्योंकि मूर्ति कमजोर होने की आशंका रहती है। गर्भगृह में जहां मूर्ति को स्थापित किया जाना है, वहां कांक्रीट भी नहीं डाला गया। ताकि, जैसे-जैसे उम्र बढ़े, जमीन के नीचे मजबूत चट्टान बन जाए।  बांकेबिहारी मंदिर के भक्तों ने रामलला को समर्पित करने चांदी का शंख, एक बांसुरी और कुछ आभूषण भेंट किए हैं। 

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