UP BJP organization elections: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठन चुनाव की तैयारियां तेज हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा को जनवरी तक नया अध्यक्ष मिल सकता है। सोमवार को दिल्ली में हुई बैठक में भी इस बात के संकेत मिले हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जनवरी 2025 तक जिला ब्लॉक और प्रदेश स्तर पर संगठन चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। चुनाव अधिकारियों और प्रभारियों को भी संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि, नए साल में नया अध्यक्ष मिल सके।
दलित, ब्राह्मण अथवा ओबीसी चेहरा
उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे ध्यान में रखते हुए भाजपा यहां दलित अथवा ब्राह्मण कार्ड खेल सकती है। पिछड़े समाज पर भी उसका खास फोकस है। चूंकि, पिछले तीन बार लगातार ओबीसी अध्यक्ष बनते रहे हैं। ऐसे में भाजपा नया प्रयोग पर सकती है। प्रदेश संगठन में विभिन्न वर्तमान और पूर्व पदाधिकारियों, मंत्रियों, और पूर्व जनप्रतिनिधियों ने भी अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की है।
UP बीजेपी अध्यक्ष के लिए चर्चा में यह नाम
नाम | वर्ग | अध्यक्ष की रेस में क्यों? |
भूपेंद्र सिंह चौधरी | ओबीसी | जाट वर्ग से आते हैं। पश्चिमी यूपी को ठीकठाक प्रभाव है। 2022 विधानसभा चुनाव के बाद से वह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसी हैं। पार्टी उन्हें दोबारा रिपीट कर सकती है। |
गोविंद नारायण शुक्ल | ब्राह्मण | प्रदेश महामंत्री और MLC हैं। संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर पार्टी नेतृत्व उनके नाम को आगे बढ़ा सकता है। |
विजय बहादुर पाठक | ब्राह्मण | प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य हैं। पार्टी के पुराने और कर्मठ पदाधिकारी हैं। ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उनके नाम को आगे बढ़ाया जा सकता है। |
बाबू राम निषाद | ओबीसी | लोकसभा चुनाव में कुर्मी, कुशवाहा और यादव जैसी ओबीसी जातियां सपा में पक्ष में गोलबंद हुईं थीं।भाजपा राज्यसभा सांसद बाबू राम को आगे कर अति पिछड़ों को साध सकती है। |
विद्यासागर सोनकर | SC | पार्टी का दलित चेहरा और एमएलसी हैं। सांगठन में कार्य करने का लंबा अनुभव है। गैर जाटव दलितों को साधने भाजपा नेतृत्व इनका नाम आगे बढ़ा सकता है। |
विजय सोनकर | SC | आजमगढ़ के लालगंज निवासी विजय सोनकर भाजपा के पुराने दलित चेहरा हैं। अध्यक्ष पद के लिए उनके नाम पर भी चर्चा है। पूर्वांचल और दलित वर्ग दोनों साधने में मदद मिलेगी। |
केशव मौर्य | ओबीसी | भाजपा के पुराने ओबीसी नेता और डिप्टी CM हैं। 2017 का चुनाव इन्हीं के नेतृत्व में लड़ा गया। अच्छी सफलता मिली। योगी विरोधी छवि व संगठन में अच्छी पकड़ के चलते दोबारा मौका मिल सकता है। |
स्वतंत्र देव सिंह | ओबीसी | बुंदेलखंड और कुर्मी समुदाय से आते हैं। 2022 में प्रदेश अध्यक्ष रहते सत्ता में वापसी कराने में अहम योगदान है। कुर्मी समुदाय यादव के बाद सियासत में सर्वाधिक सशक्त ओबीसी जाति मानी जाती है। |
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इन पर चुनाव की जिम्मेदारी
बीजेपी नेतृत्व ने यूपी में संगठन चुनाव के लिए चंदौली सांसद महेंद्र नाथ पांडेय को चुनाव अधिकारी बनाया है। जबकि, हरीश कुमार सिंह, अनिल चौधरी, रंजना उपाध्याय, मुकुट बिहारी वर्मा, कमलेश कुमार और राजेंद्र तिवारी सह चुनाव अधिकारी बनाए गए हैं। सह प्रभारियों को अलग अलग जोन की जिम्मेदारी सौंपते हुए मंडल और जिला स्तर पर चुनाव कराए जाएंगे।
जिलाध्यक्षों की भी हो सकती है छुट्टी
उत्तर प्रदेश में भाजपा के 98 जिलाध्यक्ष हैं। इनमें 40 से ज्यादा जिलाध्यक्ष बदले जा सकते हैं। आधे से अधिक बूथ अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष भी बदले जाएंगे। पार्टी का फोकस उन जिलों और बूथों पर ज्यादा है, जहां लोकसभा चुनाव के दौरान हार का सामना करना पड़ा है। यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी का कार्यकाल भी पूरा हो गया है, उनकी जगह भी नई नियुक्ति संभव है।