Ram Mandir Ayodhya: अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करवाने वाले पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित का निधन हो गया है। 86 साल के लक्ष्मीकांत दीक्षित लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। वाराणसी में लक्ष्मीकांत ने अंतिम सांस ली। उनके निधन से हर जगह शोक की लहर है। पुजारी लक्ष्मीकांत की अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान मंगलागौरी से निकली। मर्णिकर्णिका घाट पर उनका दाह संस्कार वैदिक विधि विधान से किया गया।
VIDEO | Pandit Laxmikant Dixit, who led Ayodhya Ram Temple 'Pran Pratistha' ceremony, passed away in Varanasi earlier today
— Press Trust of India (@PTI_News) June 22, 2024
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काशी के बड़े विद्वानों में होती थी गिनती
लक्ष्मीकांत दीक्षित की अध्यक्षता में ही 121 पंडितों की टीम ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान किए थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित समेत 5 लोग रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भगृह में मौजूद थे। लक्ष्मीकांत दीक्षित मूल रूप से महाराष्ट्र के शोलापुर के रहने वाले थे, लेकिन कई पीढ़ियों से उनका परिवार काशी में रह रहा है। लक्ष्मीकांत सांगवेद महाविद्यालय के वरिष्ठ आचार्य थे। लक्ष्मीकांत की गिनती काशी में अच्छे विद्वानों में होती थी। उनके पूर्वजों ने नागपुर और नासिक रियासतों में भी धार्मिक अनुष्ठान कराए था।
पीएम मोदी ने पैर छूकर लिया था आशीर्वाद
16 जनवरी से शुरू हुई प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में पंडित लक्ष्मीकांत शामिल रहे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मुख्य पुजारी और आचार्य पंडित दीक्षित ने पीएम नरेंद्र मोदी को रक्षासूत्र बांधा था। पीएम ने लक्ष्मीकांत दीक्षित के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। बता दें कि लक्ष्मीकांत ने नेपाल के अलावा भारत के अनेक शहरों में वैदिक अनुष्ठानों का आचार्यत्व किया। वेदसेवा के लिए इससे पूर्व उन्हें वेदसम्राट, वैदिक भूषण, वैदिक रत्न, देवी अहिल्या बाई राष्ट्रीय पुरस्कार सहित प्रतिष्ठित पुरस्कारों और उपाधियों से अलंकृत किया जा चुका है।
1942 में मुरादाबाद में हुआ था जन्म
लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित का जन्म 1942 में मुरादाबाद (यूपी) में हुआ था। उनकी माताजी का नाम रुक्मिणी और पिताजी का नाम वेदमूर्ति मथुरानाथ दीक्षित था। काशी में वेदमूर्ति पं. गणेश दीक्षित और वेदमूर्ति पं. मङ्गलजी बादल के सान्निध्य में शुक्लयजुर्वेद का मूल से अष्टविकृति पर्यन्त, श्रौत-स्मार्त यागों का अध्ययन किया था। शुक्ल यजुर्वेद के शीर्ष विद्वान वेदमूर्ति लक्ष्मीकांत के बहुत से शिष्य विश्व के अनेक भागों में वेदसेवा में संलग्न हैं।