Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर 100 महिलाएं नागा साध्वी बनेंगी। दीक्षा के लिए उनकी कठिन साधना जारी है। रविवार को पिंडदान और गंगा स्नान के बाद सभी श्वेत वस्त्र धारण किया। दीक्षा लेने वालों में दो महिलाओं में अमेरिका और इटली की हैं। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के 1500 अवधूत ने नागा साधु बनने जा रहे हैं। उनकी भी दीक्षा प्रक्रिया जारी है।
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा सर्वाधिक नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है। नागा साधुओं की संख्या यहां लगातार बढ़ रही है। दीक्षा लेने वाली इन महिलाओं ने संगम तट पर केश कटवाए और जीते जी खुद का पिंडदान किया। इस दौरान 17 पिंड बनाए गए। इनमें से 16 पिंड उनकी सात पीढ़ियों के और एक पिंड उनका खुद का था।
क्या है संन्यास और कैसे होती है दीक्षा?
संन्यास का अर्थ कामनाओं के सम्यक न्यास से है। संन्यासी होना यानी अग्नि, वायु, जल और प्रकाश हो जाना है। संन्यासी के जीवन का हर क्षण परमार्थ को समर्पित है। नागा दीक्षा के लिए धर्म ध्वजा के नीचे कड़ी साधना करनी होती है। महिला साध्वियों को शृंगार त्याग कर पिंडदान करना पड़ता है।
दीक्षा से पहले इसलिए होता है पिंडदान
मनकामेश्वर मठ की दिव्या गिरी ने बताया कि महिला नागा संन्यासी भी पुरुषों जैसी तपस्या से गुजरती हैं। संन्यास से पहले उन्हें श्रृंगार का त्याग कर पिंडदान जैसे जटिल कर्म करने पड़ते हैं। ताकि, निधन के बाद कोई अंतिम संस्कार करने वाला न हो तब भी समस्या न हो।
भारत की वैदिक सनातनी संस्कृति और उसकी सांस्कृतिक विरासत की दिव्य अभिव्यक्ति "महाकुम्भ प्रयागराज - 2025 के अन्तर्गत जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर अनन्तश्री विभूषित पूज्यपाद श्री स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज द्वारा सनातन हिन्दू धर्म संस्कृति के प्रचार-प्रसार एवं संवर्धन… pic.twitter.com/qePrkkjyMq
— HariharAshram (@HariharAshram) January 19, 2025
अमेरिका और इटली की महिला भी बनीं नागा साध्वी
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द गिरि महाराज ने आधी रात नागा-संन्यासियों को संन्यास दीक्षा दी। अमेरिका और इटली से आईं दो महिलाएं भी गंगा तट पर नागा संन्यास की दीक्षा ली। दीक्षा के बाद अमेरिका की महिला को कामाख्या और इटली की महिला को शिवानी नाम दिया गया है। एक की उम्र 55 साल और दूसरी अभी युवा हैं।