UP SC-ST Commission: उत्तर प्रदेश में बाई-इलेक्शन की तैयारी जोरों पर है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीकों से इसमें जुट गए हैं। इसी क्रम में, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने निगम आयोग और बोर्ड में नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस क्रम में, उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के 9 सदस्यों की घोषणा की गई है।
बैजनाथ रावत बने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष
योगी आदित्यनाथ सरकार ने पूर्व विधायक बैजनाथ रावत को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है। इसके अलावा, पूर्व विधायक बेचन राम और जीत सिंह खरवार को आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। जानकारी के अनुसार, आयोग में तीन महिला सदस्यों को भी शामिल किया गया है।
आयोग और बोर्ड में नियुक्तियों से बीजेपी की रणनीति
बाई-इलेक्शन से पहले आयोग और बोर्ड में नियुक्तियां बीजेपी की रणनीति का हिस्सा हैं। पूर्व विधायक बाईजनाथ रावत का अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पद पर नियुक्ति, बीजेपी के अनुसूचित जाति मतदाताओं को साधने की कोशिश का संकेत है। रावत पासी जाति से ताल्लुक रखते हैं, जो बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र में बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
महिलाओं को भी दी गई है महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
योगी सरकार ने इस बार आयोग में महिलाओं को भी महत्वपूर्ण भूमिका दी है। आयोग के 17 सदस्यों में से तीन महिला सदस्य हैं, जो अनुसूचित जाति समुदाय के बीच महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने का संकेत है। इस नियुक्ति के जरिए बीजेपी महिला मतदाताओं को भी लुभाने की कोशिश कर रही है।
पासी समुदाय को साधने की कोशिश
लोकसभा चुनावों में पासी, कोरी और सोनकर वोटरों का बीजेपी से सपा और कांग्रेस की ओर झुकाव देखा गया था। इन तीनों जातियों को आयोग में प्रतिनिधित्व देकर बीजेपी ने संकेत दिया है कि वह इन समुदायों के मतदाताओं को वापस अपनी ओर खींचने की कोशिश में है। मिल्कीपुर बाई-इलेक्शन में पासी समुदाय का वोट बीजेपी के लिए निर्णायक हो सकता है।
चुनावी गणित को साधने की रणनीति
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि बाईजनाथ रावत को अध्यक्ष बनाकर बीजेपी मिल्कीपुर बाई-इलेक्शन में पासी समुदाय के वोटर्स को लुभाने की कोशिश कर रही है। इससे बीजेपी को आगामी चुनावों में फायदा मिल सकता है।