Nowruz 2025: सर्च इंजन गूगल (Google) आज एक नए अवतार में नजर आ रहा है। गूगल ने आज गुरुवार (20 मार्च) को एक खास तरह का डूडल (Doodle) बनाया है। इस डूडल में रंग-बिरंगी और उत्सवपूर्ण कलाकृति से गूगल नवरोज 2025 (Nowruz 2025) का जश्न मना रहा है। नौरोज (नवरोज) एक त्यौहार है, जो पारसी सुमदाय के लिए बेहद खास दिन माना जाता है।
नवरोज (Nowruz 2025) दो पारसी शब्दों यानी नव और रोज से मिलकर बना है। इसका मतलब है- नया दिन। ईरान, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, अजरबैजान आदि देशों में नवरोज के दिन से ही पारसी नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। पारसी सुमदाय इस दिन को बेहद ही खास तरीके से सेलिब्रेट करते है। यह पर्व वसंत के पहले दिन और पारसी नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। आइए जानें गूगल के डूडल के जरिए नवरोज से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
नव वर्ष नवरोज की कैसे हुई शुरुआत
पारसी नववर्ष नौ़रोज (नवरोज) 3,000 सालों से अधिक समय से मनाया जा रहा है। नवरोज पर्व को फारसी समुदाय के लोग राजा जमशेद की याद में मनाते हैं। कहा जाता है, इसी दिन राजा जमशेद ने पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी। उस दिन के बाद ही नवरोज से ईरानी कैलेंडर की शुरुआत होती है। इसका अर्थ है ईरानी कैलेंडर का पहला दिन। ग्रेगोरी कैलेंडर के मुताबिक, नवरोज वसंत ऋतु के पहले दिन मनाया जाता है, जब दिन और रात बराबर होते हैं।
इस उत्सव की शुरुआत प्राचीन फारस (आधुनिक ईरान) से हुई थी और अब यह मध्य एशिया, काकेशस, दक्षिण एशिया और यूरोप के कुछ हिस्सों समेत दुनियाभर के विभिन्न क्षेत्रों में भी मनाया जाता है।
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कैसे सेलिब्रेट किया जाता है नवरोज का पर्व
पारसी समुदाय के लोग नवरोज त्यौहार के दिन सुबह-सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करते हैं। घर की सजावट करते है और रंगोली भी बनाते हैं। साथ ही, घरों में चंदन की लड़कियों को लाकर रखा जाता है, ताकि पूरे घर में चंदन की पवित्र खुशबू आती रहे। इस दिन पारसी मंदिरों अगियारी में लोग अपने इच्छ देवता को खुश करने के लिए विशेष प्रार्थनाएं करते हैं। इसके लिए सभी लोग मंदिर में जाकर चंदन, फल-फूल और दूध का अर्पित करते है। इसके अलावा अराधना स्थल पर चंदन की लकड़ी से आग जलाई जाती है और सभी लोग चाहरशनबे सूरी' नामक परंपरा के तहत आग के ऊपर कूदते हैं। यह परंपरा पुराने साल की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और नए साल में ऊर्जा और ताजगी लाने के लिए की जाती है।
360 दिनों का क्यों होता है एक वर्ष
भारत समेत दुनियाभर में लोग अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से एक साल में 365 दिन को मानते है। लेकिन पारसी कैलेंडर में एक वर्ष में मात्र 360 ही दिन होते हैं। हालांकि अंग्रेजी कैंलेंडर के जैसे पारसी कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, लेकिन हर महीना 30 दिनों का होता है। ऐसे एक साल में कुल 360 दिन होते हैं। अन्य पांच दिनों को पारसी समुदाय गाथा के रूप मनाता है। इन दिनों में सभी लोग मिलकर अपने पूर्वजों को याद करते हैं।