Explainer News In Hindi: अजरबैजान एयरलाइन्स का एक विमान बुधवार (25 दिसंबर) को कजाकिस्तान में क्रैश हो गया। हादसे में 42 लोगों के मारे जाने की आशंका है। इस हादसे की वजह से इंटरनेशनल एविएशन सिक्योरिटी को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में आइए, जानते हैं कि प्लेन क्रैश की जांच कैसे होती है। इस जांच में कौन-कौन से टेक्निकल टूल्स का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही जानेंगे, प्लेन क्रैश होने पर कितना मिलता है मुआवजा और क्या हैं इससे जुड़े इंटरेनशनल रूल्स। इस एक्सप्लेनर आर्टिकल में हम आपको एक एक कर सारी बात बताएंगे।  

प्लेन क्रैश के बाद क्या होता है पहला कदम? 
प्लेन क्रैश के तुरंत बाद इमरजेंसी सर्विसेज हरकत में आ जाती हैं। घटनास्थल पर लोकल प्रशासन, पुलिस और फायर डिपार्टमेंट का दस्ता सबसे पहले पहुंचता है। हादसे के बाद इन सभी की पहली प्राथमिकता घायलों की मदद और सुरक्षा सुनिश्चित करना होती है। इसके ही जिस इलाके में प्लेन क्रैश होता है उसे पूरी तरह से सील कर दिया जाता है ताकि सबूतों को नुकसान नहीं पहुंचे। इस दौरान मीडिया और आम लोगों को क्रैशिंग स्पॉट तक जाने से रोक दिया जाता है। सुरक्षाबलों को मलबे के पास तैनात कर दिया जात है।

जांच में कौन कौन से टेक्निकल टूल्स का होता है इस्तेमाल?
प्लेन क्रैश से जुड़े हादसे के लिए कई तरह के टेक्निकल टूल्स का इस्तेमाल होता है। इनमें कुछ विजिलेंस ड्रोन जैसे कॉमन टूल्स के साथ ही फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR), कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR), विजुअल इंस्पेक्शन टूल्स और डेटा एनालिसिस सॉफ्टवेयर जैसे हाइटेक टूल्स का मुख्य रूप से इस्तेमाल होता है। यहां नीचे हम विमान हादसे जांच में इस्तेमाल होने वाले कुछ टूल्स के बारे में बता रहे हैं। 

  • फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर (FDR): यह डिवाइस विमान के उड़ान के दौरान अलग-अलग डेटा को रिकॉर्ड करता है। इससे पता चलता है कि हादसे के वक्त प्लेन की स्पीड, इसका एल्टीट्यूड यानी कि ऊंचाई और पायलट के कंट्रोल इनपुट की जानकारी मिलती है। ये डेटा हादसे को समझने के लिहाज से बेहद अहम होते हैं। 
  • कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR): यह डिवाइस प्लेन की कॉकपिट में हुई बातचीत और दूसरे साउंड्स को रिकॉर्ड करता है। इससे जांच करने वालों को पता चलता है कि हादसे के वक्त विमान के पायलट और को पायलट के बीच क्या बात हो रही थी। पायलट ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल से कॉन्टैक्ट किया था या नहीं। 
  • विजुअल इंस्पेक्शन टूल्स: इन्वेस्टिगेशन करने वाले ऑफीसर प्लेन के मलबे की जांच के लिए कई तरह के विजुअल इंस्पेक्शन टूल्स का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए माइक्रोस्कोप और स्पेशलाइज्ड कैमरे का इस्तेमाल किया जाता है। इन टूल्स की मदद से नुकसान का आकलन करने में मदद मिलती है। 
  • डेटा एनालिसिस सॉफ्टवेयर: आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए, डेटा एनालिसिस सॉफ्टवेयर दुर्घटनाओं से संबंधित डेटा का विश्लेषण करने में मदद करता है। यह सॉफ्टवेयर पैटर्न और संभावित कारणों की पहचान करने में सहायक होता है।
  • ड्रोन और थर्मल इमेजिंग: दुर्घटनास्थल की पूरी तरह से जांच करने के लिए ड्रोन और थर्मल इमेजिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी मदद  से से मलबे की स्थिति और आसपास के क्षेत्र का निरीक्षण किया जाता है। 
  • सामग्री विश्लेषण उपकरण: मलबे के अलग-अलग हिस्सों की सामग्री की पहचान करने के लिए  सामग्री का विश्लेषण करने वाले डिवाइेसज का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे यह पता चल सके कि क्या किसी टेक्निकल फॉल्य या फिर विमान की किसी पार्ट्स में गड़बड़ी होने की वजह से हादसा हुआ है। 

प्लेन क्रैश की कैसे होती है जांच? 
प्लेन क्रैश की जांच एक जटिल प्रक्रिया है। कई स्टेज में इसकी जांच की जाती है। दुर्घटना की सूचना मिलते ही जांच एजेंसियां मौके पर पहुंचती हैं। क्रैश स्पॉट को सील किया जाता है। जांचकर्ता मलबे का निरीक्षण करते हैं, जिसमें फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (Flight Data Recorder) और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (Cockpit Voice Recorder) जैसे डिवाइस शामिल होते हैं। ये ब्लैक बॉक्स हादसे के दौरान विमान की गतिविधियों और पायलट की बातचीत का डेटा प्रदान करते हैं। इसके बाद तकनीकी विश्लेषण, मौसम से जुड़ी रिपोर्ट और विमान के मेंटेनेस के रिकॉर्ड की जांच की जाती है। अंतिम स्टेज में रिपोर्ट तैयार की जाती है। इस रिपोर्ट में हादसे की वजह और भविष्य में कौन से सिक्योरिटी मेजरी अपनाए जाएंगे, इसके सुझाव शामिल होते हैं। 

प्लेन क्रैश होने पर कितना मिलता है मुआवजा?
प्लेन क्रैश होने पर मुआवजे की राशि कई बातों पर निर्भर करती है। इसमें एयरलाइन्स की बीमा पॉलिसी, दुर्घटना की वजह, और संबंधित देश के नियम शामिल होते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुआवजे के लिए मॉन्ट्रियल कन्वेंशन के नियम लागू होते हैं। इस समझौते के तहत प्रत्येक यात्री के लिए मुआवजे की एक न्यूनतम राशि तय होती है, जो आमतौर पर $1,70,000 (लगभग 1.4 करोड़ रुपये) होती है। इसके अलावा, अगर एयरलाइन की लापरवाही साबित होती है तो मुआवजा इससे ज्यादा हो सकता है। मुआवजे में चिकित्सा खर्च, मानसिक आघात, और परिवार की आर्थिक मदद जैसे पहलू शामिल होते हैं। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में एयरलाइन्स एक्स्ट्रा मुआवजा भी दे सकती हैं।

प्लेन क्रैश की जांच के लिए क्या हैं इंटरनेशनल कानून?
प्लेन क्रैश से जुड़े मामलों की जांच के नियम ICAO (International Civil Aviation Organization) तैयार करता है। यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है। ICAO के नियमों के अनुसार, हर एक प्लेन क्रैश की एक डिटेल्ट रिपोर्ट तैयार करना जरूरी है। इसमें हादसे की वजह, सुरक्षा खामियां, और भविष्य में सुधार के उपाय शामिल होते हैं। ऐसे हादसों की जांच के लिए संबंधित देश की सिविल सिक्योरिटी एजेंसी और इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स की टीम भी बनाई जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय नियमों का मकसद जांच प्रक्रिया की एक स्टैंडर्ड तय करती है।