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India-Bangladesh Relation: कोलकाता और त्रिपुरा में बांग्लादेशी मिशन पर हुए हमलों और विरोध प्रदर्शनों के बाद बांग्लादेश ने अपने दो डिप्लोमैट्स वापस बुला लिए हैं। जानें पूरा मामला।

India-Bangladesh Relations: भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में नई खटास देखने को मिल रही है। कोलकाता और त्रिपुरा में बांग्लादेशी मिशन पर हुए हमलों और विरोध प्रदर्शनों के बाद ढाका ने अपने डिप्लोमैट्स वापस बुला लिए हैं। इसके साथ ही, बांग्लादेश में भारतीय प्रोडक्ट्स के बायकॉट की मांग जोर पकड़ रही है। ढाका में भारत से एक्सपोर्ट किए गए प्रोडक्ट्स का बायकॉट करने की अपील की गई। 

कोलकाता-त्रिपुरा से डिप्लोमैट्स वापस बुलाए
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कोलकाता और त्रिपुरा से अपने दो डिप्लोमैट्स को वापस बुलाने का फैसला लिया। 2 दिसंबर को त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेशी हाई कमीशन के परिसर में तोड़फोड़ की घटना हुई। इसके अलावा, कोलकाता स्थित बांग्लादेशी डिप्टी हाई कमीशन के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किए गए। इन घटनाओं के चलते 3 दिसंबर को बांग्लादेश ने यह कदम उठाया। कोलकाता के डिप्टी हाई कमीशन के एक्टिंग डिप्लोमैट मोहम्मद अशरफुर रहमान पहले ही ढाका पहुंच चुके हैं।  

ढाका में भारतीय प्रोडक्ट्स का बायकॉट
अगरतला और कोलकाता में हुई घटनाओं का असर अब ढाका में भी दिख रहा है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेता रूहुल कबीर रिजवी ने प्रदर्शन करते हुए भारतीय साड़ियां जलाईं। इसके साथ ही, उन्होंने इंडियन प्रोडक्ट्स (Indian Products) के बायकॉट की अपील की। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि भारत में बांग्लादेश के खिलाफ हो रही घटनाओं के विरोध में ऐसा किया गया है। 

चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन
त्रिपुरा में बांग्लादेशी मिशन पर हुए हमले की जड़ें चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी से जुड़ी हैं। बांग्लादेश में हिंदू नेता चिन्मय प्रभु को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके विरोध में त्रिपुरा कांग्रेस ने 2 दिसंबर को एक बड़ा प्रदर्शन किया। इसी दौरान, प्रदर्शनकारियों ने अगरतला में बांग्लादेशी असिस्टेंट हाई कमीशन के परिसर में तोड़फोड़ की। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर खेद जताया है।  

बांग्लादेश में बढ़ते तनावपूर्ण हालात
अगरतला-कोलकाता की घटनाओं के बाद बांग्लादेश में प्रदर्शन तेज हो गए हैं। 1 दिसंबर को ढाका में 83 इस्कॉन सदस्यों को भारत जाने से रोक दिया गया। बांग्लादेश के इमिग्रेशन पुलिस ने यह कहते हुए उन्हें रोक दिया कि उनके पास गवर्नमेंट की विशेष अनुमति नहीं थी। इसके अलावा, बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए स्थिति लगातार चिंताजनक बनी हुई है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर कट्टरपंथी और 

बांग्लादेश में हिंदू संत की गिरफ्तारी का हो रहा विरोध
बांग्लादेश में हिंदू और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं के खिलाफ हिंसा बढ़ रही है। चटगांव में हिंदू संत चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी और श्याम दास प्रभु पर कार्रवाई इस बात का संकेत देती है। साथ ही, बांग्लादेश की यूनुस सरकार और शेख हसीना के समर्थकों के बीच जुबानी जंग जारी है। हसीना ने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का आरोप यूनुस पर लगाया, जबकि यूनुस ने हसीना को देश बर्बाद करने का दोषी ठहराया।  

भारत-बांग्लादेश संबंधों पर दिख रहा तनाव का असर
बांग्लादेश ने फिलहाल दोनों डिप्लोमैट्स को भारत कब वापस भेजा जाएगा, इसकी कोई जानकारी नहीं दी है। अगरतला स्थित हाई कमीशन को दोबारा खोलने पर भी चुप्पी साधी हुई है। इस घटनाक्रम का असर भारत-बांग्लादेश के कूटनीतिक संबंधों पर साफ दिख रहा है। भारतीय प्रोडक्ट्स का बायकॉट और डिप्लोमैट्स की वापसी दोनों देशों के रिश्तों में तनाव को और बढ़ा सकते हैं।

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