S Jaishankar on BRICS Currency: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार(7 दिसंबर) को दोहा फोरम में अमेरिका और भारत के रिश्तों को लेकर बड़ा बयान दिया। विदेश मंत्री ने अमेरिका के प्रेसिडेंट इलेक्ट डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणियों पर भारत का रुख स्पष्ट किया। एस जयशंकर ने कहा कि भारत का मकसद डॉलर को कमजोर करना नहीं है। जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध मजबूत हैं।
डॉलर कमजोर करने का कोई इरादा नहीं
दोहा फोरम में बोलते हुए, एस जयशंकर ने कहा कि भारत की मंशा अमेरिकी डॉलर को कमजोर करने की नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्रिक्स (BRICS) देशों में कोई ऐसा प्रस्ताव नहीं है जो डॉलर के स्थान पर नई करेंसी लाने का संकेत देता हो। जयशंकर ने कहा, 'अमेरिका हमारा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और भारत का उद्देश्य डॉलर को कमजोर करना नहीं है।'
#WATCH | At Doha Forum 2024: EAM Dr S Jaishankar said, "...We have always said that India has never been for de-dollarisation, right now there is no proposal to have a BRICS currency. The BRICS do discuss financial transactions... US is our largest trade partner, we have no… pic.twitter.com/yfYCqdZXaJ
— ANI (@ANI) December 7, 2024
मोदी-ट्रम्प की मजबूत साझेदारी का किया जिक्र
जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप के व्यक्तिगत संबंधों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि इन रिश्तों ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और गहरा किया है। जयशंकर ने कहा क्वाड (Quad) की दोबारा शुरुआत ट्रम्प प्रशासन की एक अहम उपलब्धि है। यह क्षेत्रीय सहयोग के लिहाज से बेहद अहम साबित हुआ।
व्यापार और ब्रिक्स विवाद पर भारत का रुख
डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रिक्स देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी। इस पर जयशंकर ने कहा कि ब्रिक्स देश केवल वित्तीय लेनदेन पर चर्चा करते हैं और भारत ने कभी "डीडॉलराइजेशन" का समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा, "ब्रिक्स करेंसी का कोई प्रस्ताव नहीं है, और भारत हमेशा स्थिरता का पक्षधर रहा है।"
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मिडिल ईस्ट की अस्थिरता पर जताई चिंता
जयशंकर ने पश्चिम एशिया में बढ़ती अस्थिरता पर भी चिंता जाहिर की। जयशंकर ने कहा कि वैश्विक स्थिरता भारत के लिए बेहद अहम है। आज की दुनिया में किसी भी क्षेत्र की अस्थिरता का असर सभी देशों पर पड़ता है। भारत हमेशा बातचीत और समाधान का पक्षधर रहा है। भारत का मकसद हर क्षेत्र में शांति और सहयोग को बढ़ावा देना है। इसकी वजह से "भारत को शिपिंग लागत और व्यापार में बाधा का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय अस्थिरता का असर बढ़ता जा रहा है।
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रूस-यूक्रेन जंग को लेकर कही ये बात
जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर कहा कि अब बातचीत की दिशा में बढ़ने का रुझान दिख रहा है। हाल ही में कुछ यूरोपीय नेताओं ने भारत से रूस और यूक्रेन दोनों से संपर्क बनाए रखने की अपील की है। यह एक सकारात्मक संकेत है। जयशंकर ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को सुलझाने के लिए पहल करने की जरूरत है। बता दें पीएम मोदी इस साल रूस और यूक्रेन दोनों ही देशों का दौरा कर चुके हैं।