Indian labour's stranded in Jordan: (गौरव प्रियंकर की रिपोर्ट) जॉर्डन में फंसे करीब 80 मजदूरों की मुश्किलों का अब तक कोई हल नहीं निकल पाया है। हरिभूमि ने 18 दिसंबर को जॉर्डन में फंसे मजदूरों की एक्सक्लूसिव खबर प्रकाशित की थी। इसके साथ ही जॉर्डन के अम्मन स्थित भारतीय दूतावास से भी संपर्क किया था। दूतावास ने मामला संज्ञान में होने की बात कही। जिन कंपनियों में मजदूर काम कर रहे हैं वह फिलहाल आर्थिक संकटों से गुजर रही हैं। मजदूरों का वेतन वापस दिलाने की कोशिश करने की बात भी जॉर्डन एम्बेसी ने स्वीकार की। हालांकि मजदूरों की वतन वापसी को लेकर कुछ भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी।
जॉर्डन में फंसे बिहार के मजदूर जुनैद की गुहार:
Indian labour's stranded in Jordan not getting help from @JoEmbassyINDIA despite calling several times. Please listen the appeal Honorable Prime Minister Narendra Modi @PMOIndia @narendramodi @MEAIndia @IndianDiplomacy @bholanathlive @diliipchaturve1 @Hitesh_Kush007 pic.twitter.com/NAL4AYGr4E
— gaurav priyankar (@PriyankarGaurav) December 23, 2023
मजदूर अभी भी मांग रहे हैं मदद
शनिवार को हरिभूमि को जॉर्डन में फंसे मजदूरों में से एक मजदूर जुनैद बैठा का नया वीडियो मिला है। इस वीडियो में मजदूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है कि सभी फंसे मजदूरों को जल्द से जल्द वापस बुलाया जाए। इस वीडियो में मजदूर ने प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी से वतन वापसी के लिए गुहार लगाई है। इसके साथ ही उसने जॉर्डन में फंसे मजदूरों को रही परेशानियों को लेकर कई खुलासे किए हैं।
खाने को हुए मोहताज
जुनैद बैठा वीडियो में कह रहा है, मोदी जी आपसे यही गुजारिश है कि हमें जल्द भारत वापस बुलाइए। यहां पर चार महीने से हम लोगों का वेतन नहीं मिला है। हमें दिक्कतों का सामना कर पड़ रहा है। खाने तक के मोहताज हो गए हैं। हम लोगों का रो-रो कर बुरा हाल हो चुका है। आपसी यही अनुरोध है कि हम लोगों को जल्द से जल्द इंडिया वापस बुलाया जाए। हम लोग करीब 80 मजदूर यहां पर फंसे हुए हैं। यहां पर हमारा इकामा भी लैप्स हो चुका है। ऐसे में स्थानीय पुलिस भी हमें परेशान करती है। हम लोगों को कोई मदद नहीं मिल रही।
जॉर्डन एम्बेसी ने साध रखी है चुप्पी
मजदूर मो. जुनैद ने बताया कि उसके पास कोई मदद नहीं पहुंची है। भारतीय दूतावास की ओर से कोई जवाब नहीं मिल रहा। जुनैद ने कहा कि भारतीय दूतावास के अधिकारी हमारी बात नहीं सुन रहे। एम्बेसी ने बार-बार फोन करने पर हमारा नंबर भी ब्लैकलिस्ट में डाल दिया है। हम लोग एम्बेसी में गए थे। वहां हमने सभी फंसे मजदूरों की लिस्ट सौंपी लेकिन अधिकारियों ने कोई एक्शन नहीं लिया। जुनैद बैठा ने कहा कि जिस कंपनी में वे काम कर रहे थे उसके जनरल मैनेजर और अन्य लोग हमारी बात नहीं सुन रहे। वे कह रहे हैं कि तुम लोगों को जहां जाना है जाओ, हम कुछ नहीं कर सकते।