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Moscow Attack: रूस की राजधानी  मॉस्को के एक कॉन्सर्ट हॉल में अज्ञात बंदूकधारियों ने गोलीबारी की। हमलावर सेना की वर्दी में आए थे, अब तक 115 की जान गई, 100 से ज्यादा जख्मी हैं।

Moscow Attack: रूस की राजधानी मॉस्को के एक कॉन्सर्ट हॉल में शुक्रवार रात अज्ञात बंदूकधारियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की। इस आतंकी हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 115 हो चुकी है, वहीं 100 से ज्यादा लोग घायल हैं। इनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। रशियन सिक्योरिटी एजेंसियों ने शनिवार को 4 संदिग्ध हमलावरों समेत कुल 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। रूस में 20 साल के सबसे घातक पहले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) ने ली है। जबकि, विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि हमलावरों के यूक्रेन से लिंक हैं।

स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने मीडिया को बताया कि आतंकी हमले में जख्मी हुए 100 से ज्यादा लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें कई बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। कई घायलों को हालत नाजुक है। ऐसे में मृतकों का संख्या और बढ़ सकती है। मुश्किल हालात में स्थानीय लोग मॉस्को के अस्पतालों में ब्लड डोनेट करने के लिए आगे आए हैं ताकि खून की कमी न हो।

आतंकी संगठन IS ने हमले की जिम्मेदारी ली 
इस्लामिक आतंकी संगठन IS ने हमले की जिम्मेदारी ली है। टेरर ग्रुप की ओर से आमाक न्यूज एजेंसी को बताया कि उसके लड़ाकों ने मॉस्को के बाहरी इलाके में ईसाई समुदाय के लोगों की एक बड़ी सभा पर अटैक को अंजाम दिया। इस हमले में कई लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग जख्मी हुए।

सेना जैसी वर्दी पहनकर आए थे आतंकी
आईएस के आतंकी सेना जैसी वर्दी पहनकर आए थे। उन्होंने शुक्रवार रात कॉन्सर्ट हॉल के अंदर और एंट्री गेट पर गोलियां बरसाईं। हमलावरों की संख्या 4 से 5 बताई जा रही है। आतंकी ऑटोमैटिक हथियारों से मासूमों पर फायरिंग की और हथगोले से भी हमला किया। अटैक के बाद आतंकी वहां से भाग निकले। आईएस ने दावा किया है कि उसके सभी लड़ाके रूस से सुरक्षित बाहर निकल चुके हैं। 

पूर्व राष्ट्रपति ने की सख्त एक्शन की मांग
रूस के पूर्व राष्ट्र्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने कहा है कि आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। आतंकी सिर्फ आतंक की भाषा समझते हैं। ताकत का मुकाबला ताकत से किया जाना चाहिए। आतंकियों को मौत के घाट नहीं उतारा गया या उनके परिवार के खिलाफ एक्शन नहीं लिया गया तो ट्रायल का कोई मतलब नहीं है। आतंक से निपटने के लिए दुनिया में यही तरीका अपनाया जाता है।

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