Who are Houthis: बीते 2 दिन में 3 जहाजों पर ड्रोन अटैक कर दुनिया भर को चौंकाने वाले हूती (Houthis) विद्रोही इन दिनों चर्चा में हैं। ये रणनीतिक तौर पर अहम लाल सागर के हिस्से में सक्रिय हैं। दरअसल अब तक हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में जहां पर इंटरनेशनल क्रूज को निशाना बनाया है, वह बाब-अल मंदाब की खाड़ी है। यह लाल सागर और हिंद महासागर को जोड़ती है। यह कंटेनर, कार्गो और पैसेंजर शिप्स के लिए सबसे बेहतर रूट माना जाता है। यह भारत और यूरोप के बीच समुद्री व्यापार के लिए सबसे मुफीद रूट है। हूती विद्रोही (Houthi rebels) इसका फायदा उठा रहे हैं और जहाजों को निशाना बना रहे हैं।
ईरान क्यों देता है यमन के हूति विद्रोहियों का साथ
ईरान हूति विद्रोहियों को धार्मिक छात्र समूह मानता है। विद्रोह शुरू करते वक्त इस ग्रुप में हुसैन बदरेद्दीन-अल हौती सबसे अहम चेहरा था। वह यमन सरकार के खिलाफ हूती विद्रोहियों का नेतृत्व करता था। साल 2012 में जब हूतियों ने सालेह को यमन की सत्ता से बेदखल किया तो ईरान और भी बेबाकी से उनके समर्थन में आ गया। ईरानी अधिकारियों ने खुलकर हूती विद्रोहियों के समर्थन में बयान देना शुरू कर दिया। ईरान और हूती दोनों सऊदी अरब को अपना दुश्मन मानते हैं। जबकि सऊदी अरब यमन के समर्थन में। यह बड़ी वजह है कि हूतियों को ईरान का साथ मिलता है।
हूती विद्रोहियों का क्या है इस्लाम कनेक्शन
हूती इस्लाम के जायदी शिया वर्ग से हैं। इन्हें जादियाह भी कहा जाता है। शिया वर्ग को मुसलमान अल्पसंख्यक मानते हैं। वहीं, शिया वर्ग में जादियाह को अल्पसंख्यक कहा जाता है। इनके मत और सिद्धांत दूसरे वर्ग के मुसलमान से काफी अलग होते हैं। शिया मुसलमान ईरान और इराक में प्रभुत्व रखते हैं। जादियाह समुदाय ने अपना नाम ज़ायद बिन अली से लिया है, जो मोहम्मद के चचेरे भाई माने जाते हैं। जायद बिन अली ने 740 में उमय्यद साम्राज्य के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, जो इस्लामी इतिहास का पहला राजवंशीय साम्राज्य था, जिसने दमिश्क पर शासन किया था।
कब बना हूती विद्रोही संगठन
हूती विद्रोही संगठन साल 1990 में बनाया गया था। इसने यमन के तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला के खिलाफ मोर्चा खोल कर विद्रोह की शुरुआत की थी। हूतियों का कहना था कि सालेह देश में भ्रष्टाचार कर रहे हैं। इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को चुप करा रहे हैं। सालेह की कथित दमनकारी नीतियों के कारण हूतियों ने बंदूक उठा लिया था। सऊदी अरब की सेना उस समय सालेह के समर्थन में थे। हालांकि, इसके बावजूद भी हूती विद्रोहियों ने सालेह को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
क्या होगा जब बंद होगा "आंसू का द्वार"
बाब-अल-मंदाब एक अरबी शब्द है इसका मतलब "आंसू का द्वार" होता है। यह एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार मार्ग है। यह लाल सागर और स्वेज नहर के जरिए भूमध्य सागर और हिंद महासागर को जोड़ता है। यह खाड़ी अरेबियन पेनिनसुला को अफ्रीका से अलग करती है। इसके बंद होने से भारत समेत पूरे एशिया के समुद्री व्यापार पर असर होगा। यूरोप की ओर जाने वाले मालवाहक जहाजों को अफ्रीका के निचले सिरे पर स्थित केप ऑफ गुड होप होते हुए सफर करना होगा। ऐसे में न सिर्फ भारत बल्कि सभी यूरोपीय देशों का समुद्री व्यापार प्रभावित होगा।
क्यों जहाजों को निशाना बना रहे हैं हूती
हूती विद्रोही इजराइल के साथ जंग लड़ रहे हमास आतंकी संगठन के समथर्न में जहाजों को निशाना बना रहे हैं। हूती विद्रोहियों ने इजराइल हमास वार के बाद खुले तौर पर हमास का समर्थन किया था। हूति विद्रोहियों ने साफ तौर पर कहा था कि अगर इजरायल के जहाज लाल सागर में घुसेंगे तो उसे निशाना बनाया जाएगा। इसके बाद से ही जहाजों पर हमले बढ़ गए हैं। पहले तो इन्होंने सिर्फ इजरायल के कार्गो जहाजों को निशाना बनाया। अब इसने दूसरे जहाजों पर भी हमले शुरू कर दिए हैं। 8 दिसंबर से ही हूती विद्रोही ड्रोन और बैलेस्टिक मिसाइलों के जरिए जहाजों पर हमले कर चुके हैं।
क्या होगा भारत पर इसका असर
अगर हूती विद्रोहियों के हमले के कारण बाब अल-मंदाब खाड़ी बंद होती है तो भारत पर इसका बड़ा असर होगा। इससे खाड़ी देशों, अफ्रीका और यूरोप के साथ भारत का व्यापार प्रभावित होगा। इन जगहों से आने वाले जहाजों को लंबे रास्ते से आने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। ऐसे में कच्चे तेल और लिक्विफाइड नैचुरल गैस(LNG)की कीमतों में उछाल आने की संभावना है। मौजूदा समय में ग्लोबल ट्रेड में शामिल करीब 30 प्रतिशत कंटेनर शिप्स इसी समुद्री रास्ते से आवाजाही करते हैं। भारत के निर्यात और आयात व्यापार पर इसका सीधा असर होगा।
विद्रोहियों के हमले के बाद एक्शन में कई देश
हूती विद्रोहियों की ओर से जहाजों पर बढ़ते हमले को लेकर दुनिया के प्रमुख देशों ने चिंता जताई है। अमेरिकी सेना ने लाल सागर में जहाजों की सुरक्षा करने के लिए इंटरनेशनल नेवी ऑपरेशन शुरू कर दिया है। ब्रिटेन, फ्रांस, स्पेन, बहरीन और नॉर्वे सहित कई देश इस ऑपरेशन में शामिल हो चुके हैं। भारत ने हूती विद्रोहियों के हमले के शिकार हुए जहाजों की मदद की है। इसके लिए अपने सैन्य पोतों और निगरानी विमानों को भी तैनात किया है। हालांकि, इसके खिलाफ ऑपरेशन में भारत शामिल होगा या नहीं इस पर अब तक स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।