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Who is Tulsi Gabbard: डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को यूएस इंटेलिजेंस डायरेक्टर नियुक्त किया है। हालांकि तुलसी का नाम सुनने में आम भारतीयों जैसे लगता है लेकिन उनका भारत से कोई संबंध नहीं है।

Who is Tulsi Gabbard: डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को अमेरिका की नई इंटेलिजेंस डायरेक्टर नियुक्त किया है। तुलसी गबार्ड अमेरिका की पहली हिंदू कांग्रेसवुमन हैं जिन्होंने अमेरिका के इस अहम पद पर पहुंचने में कामयाब हुई हैं। तुलसी का नाम सुनने में किसी भारतीय महिला के नाम की तरह लगता है, लेकिन उनका भारत से कोई संबंध नहीं है। गबार्ड की मां हिंदू धर्म में परिवर्तित हुई थीं और उन्होंने सभी बच्चों को हिंदू नाम दिए। 

ट्रंप ने की तुलसी की तारीफ
डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को "प्राउड रिपब्लिकन" बताया है और उनकी साहसी सोच की प्रशंसा की है। ट्रंप ने कहा कि तुलसी अपने "निर्भीक स्वभाव" से  इंटेलिजेस सेक्टर में नई एनर्जी ला सकती हैं। तुलसी गबार्ड पहले डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़ी थीं। हालांकि, अब रिपब्लिकन पार्टी का हिस्सा बन चुकी हैं। ट्रंप ने उन्हें "संविधान के अधिकारों की रक्षक" और "शक्ति के माध्यम से शांति" की समर्थक कहा है। 

कांग्रेसवुमन से खुफिया निदेशक तक का सफर
तुलसी गबार्ड ने 2013 से 2021 तक हवाई की दूसरी सीट से अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान उन्होंने हाउस होमलैंड सिक्योरिटी कमेटी में भी काम किया। इसके अलावा, गबार्ड ने अमेरिकी सेना में भी दो दशक तक सेवा की है। तुलसी को इराक और कुवैत में तैनात किया गया था। 

पति हैं सिनेमेटोग्राफर और पिता सीनेटर
तुलसी गबार्ड की शादी सिनेमेटोग्राफर अब्राहम विलियम्स से हुई है। उनके पिता माइक गबार्ड एक राज्य सीनेटर हैं जो पहले रिपब्लिकन थे लेकिन बाद में डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल हो गए। तुलसी के जीवन का सफर काफी प्रेरणादायक है। 

पहली अमेरिकी हिंदू कांग्रेसवुमन
तुलसी गबार्ड की पहचान पहली हिंदू अमेरिकी कांग्रेसवुमन के रूप में की जाती है। गबार्ड ने अपनी शपथ भगवद गीता पर ली थी, जो उनके हिंदू धर्म के प्रति आस्था को दर्शाता है। हालांकि वे भारतीय नहीं हैं, लेकिन उनकी मां ने हिंदू धर्म अपनाया और सभी बच्चों को हिंदू संस्कृति में पाला। इस वजह से तुलसी और उनके सभी भाई-बहनों के नाम आम भारतीयों के नाम से मिलते जुलते हैं। 

2020 में डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रहीं
2020 में तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी पेश की थी। इस दौरान उन्होंने अपनी पार्टी की नीतियों की आलोचना भी की। बाद में 2022 में उन्होंने पार्टी छोड़ दी, उन्हें लगता था कि पार्टी में “युद्ध समर्थक” और “वोक” विचारधारा हावी हो चुकी है। इसके बाद गबार्ड ने रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन किया। 

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