Abu Dhabi Hindu Temple: रमजान के पवित्र माह में विश्व शांति और भाईचारे के उद्देश्य से अबु धाबी के पहले हिंदू मंदिर में रोजा इफ्तार का आयोजन कराया गया था, जिसमें सभी धर्मों के लोगों को आमंत्रित किया गया था। मंदिर में दर्शन हेतु ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराया जाता हैं। बिना पूर्व रजिस्ट्रेशन के किसी को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है। इस मंदिर का निर्माण बोचासंवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) ने कराया है। इसी वर्ष एक मार्च 2024 से इसे पब्लिक के लिए खोल दिया गया है।
दूर से ही दिखी भव्यता
भक्तों, पर्यटकों के लिए मंदिर में दर्शन के लिए मंगलवार से रविवार तक रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 8 बजे तक खुला रहता हैं। दुबई-अबु धाबी शेख जायेद हाईवे पर अर-रहबा के निकट अबु मुरेइखाह में 27 एकड़ के क्षेत्र में 700 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित भव्य मंदिर है।
मंदिर का है ड्रेस-कोड
मंदिर दर्शन के लिए ढीले-ढाले, सादे कपड़े पहने, जो गर्दन से कोहनियों और पैरों तक ढंके हुए हो। दरअसल, मंदिर में प्रवेश हेतु ड्रेस कोड का पालन करना आवश्यक है। अगर आप जींस, टी-शर्ट, टाइट ड्रेस, अंग प्रदर्शन करते कपड़े, पारदर्शी कपड़े पहन कर जाएंगे तो आपको प्रवेश करने से रोक दिया जाएगा।
सुंदरता ने मोह लिया मन
मंदिर के अंदर कदम रखते ही आपको ऐसा प्रतीत होगा, जैसे आप किसी दूसरे लोक में पहुंच गया हो, जहां केवल शांति, सुकून और सुंदरता है। मंदिर की सुंदरता सभी का मन मोह लेती है। मंदिर 18 लाख ईंटों और 1.8 लाख क्यूबिक मीटर सैंडस्टोन से बनाया गया है, जिसे सीधे राजस्थान से मंगाया गया था।
संस्कृतियों के संगम का प्रतीक
गौरतलब है कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 3.5 मिलियन भारतीय रहते हैं, जो कि खाड़ी में भारतीय कार्यबल का हिस्सा हैं। इनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए इस मंदिर के लिए भूमि यूएई सरकार ने दान की है। यूएई में तीन अन्य हिंदू मंदिर दुबई में हैं। बीएपीएस हिंदू मंदिर, संपूर्ण खाड़ी क्षेत्र में सबसे बड़ा मंदिर है। बीएपीएस मंदिर में स्थानीय लोगों की भावनाओं का भी भरपूर ख्याल रखा गया है। मंदिर में सात शिखर हैं, जो कि यूएई की सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं। मंदिर में ऊंटों और राष्ट्रीय पक्षी बाज (फाल्कन) की नक्काशी की गई है, ताकि मेजबान देश को बराबर का प्रतिनिधित्व दिया जा सके। शिखरों पर देवताओं की मूर्तियां हैं, जिनमें शामिल हैं भगवान राम, भगवान शिव, भगवान जगन्नाथ, भगवान स्वामीनारायण (जिन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है), तिरुपति बालाजी और भगवान अय्यप्पन। इस तरह से यह मंदिर संपूर्ण भारत का भी प्रतिनिधित्व करता है। बीएपीएस के लिए अंतरराष्ट्रीय मामलों के प्रमुख ब्रह्माविहारीदास ने बताया, ‘सात शिखर यूएई की सात अमीरात का प्रतिनिधित्व करते हैं।’ इस तरह यह मंदिर संस्कृतियों का संगम स्थल है।
इस्तेमाल हुए सुंदर-कीमती पत्थर
बीएपीएस मंदिर की बाहरी दीवारें, भारत से लाए गए सैंडस्टोन से बनी हैं, लेकिन अंदर इटालियन मार्बल लगाए गए हैं। दीवारों और खंभों पर नक्काशी किए हुए सुंदर डिजाइन हैं। अन्य प्रमुख आर्किटेक्चर तत्वों में शामिल हैं दो गुंबद, 12 स्मरण (गुंबद जैसे स्ट्रक्चर) और 402 पिलर। ये दोनों गुंबद, शांति और सद्भाव के प्रतीक हैं। मंदिर के दोनों साइड्स में गंगा और यमुना नदियों का पवित्र जल बहता है, जिसे विशाल कंटेनर्स के जरिए भारत से लाया गया है। सैंडस्टोन की पृष्ठभूमि में मंदिर में बहुत ही शानदार और सुंदर मार्बल की नक्काशी है, जो कि 25,000 से भी अधिक पत्थरों पर है। इसे राजस्थान और गुजरात के कारीगरों ने तैयार किया है। गुलाबी सैंडस्टोन भी बड़ी मात्रा में उत्तरी राजस्थान से अबु धाबी, बीएपीएस मंदिर के लिए लाया गया है।
दरअसल, इस मंदिर की सांस्कृतिक विविधता जहां एक पर्यटकों को भी आत्मिक सुख प्रदान करती है, वहीं यह एकता और मानवता का भी प्रतीक है।
प्राचीन शैली में किया गया निर्मित
अयोध्या के राम मंदिर की तरह इस मंदिर को भी नागर शैली में बनाया गया है। मंदिर का निर्माण उस प्राचीन शैली के अनुसार किया गया है, जिसका उल्लेख मंदिर डिजाइन और निर्माण के संदर्भ में शिल्प और स्थापत्य शास्त्रों में किया गया है। भारतीय धार्मिक परंपरा में हाथी, ऊंट, शेर आदि पशुओं का महत्वपूर्ण स्थान है। इसलिए इन सबके चित्र का मंदिर की दीवारों पर होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, लेकिन स्वागतयोग्य तथ्य यह है कि यूएई के राष्ट्रीय पक्षी बाज को भी मंदिर के डिजाइन में शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त रामायण और महाभारत सहित भारत की 15 पौराणिक कथाओं के साथ ही माया, मिस्र, अरबी, यूरोपियन, चीनी और अफ्रीकी सभ्यताओं की कथाओं का भी यहां चित्रण किया गया है।