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Shaheed Diwas 2025: भारत में शहीद दिवस को दो बार मनाए जाने का विशेष कारण है, जो स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। प्रत्येक शहीद दिवस का उद्देश्य देश के उन वीरों को याद करना है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

Shaheed Diwas 2025: भारत में हर साल 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के महान नेता और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि होती है। इसलिए इस दिन पूरा भारत गांधी जी की शहादत को याद करने के लिए प्रत्येक वर्ष शहीद दिवस के रूप में मनाता है। लेकिन शहीद दिवस को लेकर कई लोगों में असमंजस की स्थिति बनी रहती है क्योंकि भारत में शहीद दिवस दो बार मनाया जाता है — एक जनवरी में और दूसरा मार्च में। ऐसे में हम यहां आपको साल में दो बार शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है और दोनों के बीच क्या अंतर है जैसे कुछ सवालों के जवाब दे रहे हैं। आइए जानते हैं...  

शहीद दिवस क्यों मनाया जाता है दो बार?
भारत में शहीद दिवस को दो बार मनाए जाने का विशेष कारण है, जो स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है। प्रत्येक शहीद दिवस का उद्देश्य देश के उन वीरों को याद करना है जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। हालांकि, इस दिन के मनाए जाने के समय और संदर्भ में थोड़ा अंतर है, जो इतिहास से जुड़ी दो महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाता है।

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1. 30 जनवरी – महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (Shaheed Diwas)
सबसे पहले, 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है, जिसे महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में जाना जाता है। इस दिन, 1948 में महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गांधी जी का बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और उनकी हत्या के बाद इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाना शुरू हुआ।

महात्मा गांधी ने अपनी पूरी जिंदगी में अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों का पालन किया और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को इस पर आधारित किया। इस दिन, भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य उच्च अधिकारी राजघाट पर महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं और पूरे देश में 2 मिनट का मौन रखा जाता है, ताकि उनके बलिदान को सम्मानित किया जा सकें।

2. 23 मार्च – शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत (Shaheed Diwas)
दूसरा शहीद दिवस 23 मार्च को मनाया जाता है, जो भारत के महान क्रांतिकारियों, भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव की शहादत को याद करने का दिन है। 23 मार्च 1931 को इन तीनों स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था। इन वीर शहीदों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और देशवासियों में जोश और प्रेरणा का संचार किया।

इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य इन शहीदों की वीरता और बलिदान को सम्मानित करना है। यह दिन विशेष रूप से क्रांतिकारी विचारधारा और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को याद करने के लिए मनाया जाता है।

शहीद दिवस के अंतर को समझना
30 जनवरी (महात्मा गांधी की पुण्यतिथि) और 23 मार्च (भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत) के शहीद दिवस में मुख्य अंतर यह है कि दोनों दिनों का महत्व और उद्देश्य अलग-अलग हैं:

30 जनवरी: यह दिन महात्मा गांधी के अहिंसक स्वतंत्रता संग्राम और उनके सिद्धांतों की श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए है। इस दिन, देश में शांति, एकता और सत्य की भावना को बढ़ावा देने की कोशिश की जाती है।

23 मार्च: यह दिन क्रांतिकारी आंदोलन के प्रतीक और उन वीरों को याद करने का दिन है जिन्होंने हिंसक संघर्ष के माध्यम से देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव की शहादत भारतीय इतिहास में एक निर्णायक पल के रूप में जानी जाती है।

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