Logo
सर्दी के मौसम में शरीर को गर्म रखने में भुजंगासन को सबसे बेहतर योगासन माना जाता है। पूरा लाभ पाने के लिए इसकी सही विधि, इसे करने से पहले और करने के बाद के आसनों के बारे में, जरूर जान लें।

सर्दी के मौसम में कुछ लोगों को ज्यादा ही ठंड लगती है। वो अक्सर ठिठुरते रहते हैं। इसकी वजह सिर्फ यह नहीं होती कि वे गर्म कपड़े नहीं पहनते, बल्कि इस ठंड के लगने की एक वजह उनके शरीर की प्रतिक्रिया होती है। साथ ही कमजोर प्रतिरक्षा के चलते भी कुछ लोगों को ज्यादा सर्दी लगती है। यूं तो सर्दी से बचाव के लिए कई आसन कारगर हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा कारगर और सरल भुजंगासन है। भुजंगासन करने से अस्थमा जैसी समस्याओं में फायदा मिलता है। 

भुजंगासन से पहले ये आसन करें
भुजंगासन करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि इसे एकदम से शुरू ना करें, बल्कि इसके पहले बालासन, गरुड़ासन और मार्जरी आसन करें। इससे ना सिर्फ भुजंगासन करना आसान होगा, बल्कि इसके फायदे भी बढ़ जाते हैं।

 भुजंगासन की विधि
योगा मैट बिछाकर उस पर पेट के बल सीधा लेट जाएं। इस तरह लेटें कि पैरों के तलवे ऊपर की ओर हों। लेटने के कुछ क्षण गुजरने के बाद अपनी बाजुओं को जमीन पर टिकाएं और धड़ को ऊपर की तरफ पूरे खिंचाव के साथ ले जाएं। इस दौरान अपनी दोनों बाजुओं को जमीन पर मजबूती से टिकाए रखें। अब हाथों पर शरीर का अधिकतम वजन डालकर छाती को जितना ऊपर की तरफ खींच सकते हैं, खींचें। लेकिन ऐसा करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि आपके पेट के नीचे की त्वचा जमीन से उठनी नहीं चाहिए यानी पेट के नीचे का हिस्सा जमीन के साथ लगा रहना चाहिए और पेट के ऊपर के हिस्से को ही ऊपर उठना चाहिए। इस दौरान अपने पैरों को अंगुलियों के बल टिकाकर रखें और पीठ को जितना मोड़ सकें, उतना आराम से मोड़ें। जबरदस्ती कुछ भी ना करें। ध्यान रखें इसका फायदा तभी है, जब इस दौरान आपकी बाजुएं पूरी तरह से तनी रहें और उनमें वजन महसूस हो। कम से कम पांच बार गहरी सांस पहले अंदर लें फिर बाहर छोड़ दें। यह 30 से 60 सेकेंड तक करें। अगर परेशानी महसूस हो रही हो तो 30 सेकेंड के बाद ही सामान्य मुद्रा में आ जाएं, नहीं तो एक मिनट तक तनी हुई कमान के समान मुद्रा बनाकर रखें। अनुभवी होने के बाद भी इसे 90 सेकेंड से ज्यादा ना करें।

भुजंगासन के बाद फायदे
जिस तरह सीधे भुजंगासन करने से पहले कुछ दूसरे योगासन किए जाएं तो उनसे ज्यादा फायदा मिलता है। ठीक उसी तरह भुजंगासन करने के बाद भी कुछ दूसरे आसन किए जाएं तो इस आसन के और ज्यादा फायदे मिलते हैं। भुजंगासन के बाद योगाचार्य जिन आसनों को करने की सलाह देते हैं, उनमें बितिलासन, ऊर्ध्वमुख श्वानासन और सेतुबंधासन शामिल हैं। 

आसन के फायदे
भुजंगासन करने से सर्दी से बचाव होता है। इसके अलावा यह आसन करने से रीढ़ की हड्डी लचीली और मजबूत बनती है। छाती, फेफड़ों, कंधों और पेट की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। तनाव और थकान दूर होती है। साइटिका की समस्या से छुटकारा मिलता है। अस्थमा के लक्षणों को भी नियमित तौर पर भुजंगासन करने से कम किया जा सकता है। साथ ही प्रजनन प्रणाली में भी इसे नियमित करने से फायदा मिलता है।

ये सावधानी बरतें
भुजंगासन हमेशा अनुभवी योगाचार्य के निर्देशन में ही करना चाहिए। जरा भी लापरवाही होने से रीढ़ की हड्डी में चोट लग सकती है, जिसका परिणाम घातक हो सकता है। पीठ में किसी तरह की चोट पहले से लगी हो तो भूलकर भी यह आसन ना करें। इसके अलावा सिरदर्द हो या गर्भावस्था में महिलाएं इस आसन को ना करें।

दिव्यज्योति ‘नंदन’
 

jindal steel jindal logo
5379487