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Library: पुस्तकालय केवल किताबों का संग्रहालय नहीं ज्ञान के सागर जैसे होते हैं। इन्हीं पुस्तकालयों में इतिहास, साहित्य, कला और संस्कृति की अनमोल धरोहरें पुस्तक के रूप में संरक्षित रहती हैं। अपने देश ही नहीं दुनिया भर में कई ऐसे पुस्तकालय मौजूद हैं, जो अपनी भव्यता और ज्ञान संचय की वजह से विख्यात हैं। इनमें से कुछ के बारे में आप भी जानिए।

Library: पुस्तकालय महज किताबों के घर या किताबों के रखने की जगह भर नहीं होते हैं। ये किसी देश की कला, साहित्य, संस्कृति, इतिहास की धरोहर को सुरक्षित और संरक्षित रखने की जगह होते हैं। किसी देश के पुस्तकालयों से यह समझा जा सकता है कि उस देश का कला और साहित्य में क्या दर्जा है, इतिहास और दर्शन में उसकी कैसी दखल है और संस्कृति के मोर्चे पर वह किस पायदान पर खड़ा है? पुस्तकालयों की इसी थाती के कारण भले किताबों का अस्तित्व सवालों के घेरे में आ गया हो, लेकिन दुनिया भर में मौजूद एक से बढ़कर एक पुस्तकालयों का भविष्य सुरक्षित है।

अगर इन पर किसी भी प्रकार की चुनौती आई है तो बस इतनी कि इन्हें भी जमाने के तकनीक के मुताबिक खुद को आधुनिक डिजिटल तकनीक से लैस होना पड़ रहा है। यही कारण है कि दुनिया भर के पुस्तकालय बहुत तेजी से डिजिटल हो रहे हैं और तमाम किताबें रातों-रात वीडियो या डिजिटल रूप धारण कर रही हैं। लेकिन पुस्तकालयों की दुनिया में फिलहाल किताबों की आवक जरा भी कम नहीं हुई है। हां, यह जरूर हुआ है कि कई किताबें अब कागज की बजाय स्क्रीन में आ गई हैं। लेकिन दस्तावेजी धरोहरों को सुरक्षित रखने की भूमिका अदा कर रहे पुस्तकालय किताबों की समस्या से ग्रस्त नहीं है। बहुत से लोगों का तो यह भी मानना है कि हो सकता है भविष्य में किताबें आम लोगों के पास से खत्म हो जाएं, लेकिन विभिन्न संस्थानों के पुस्तकालयों में इनकी मौजूदगी बरकरार रहेगी बल्कि और बेहतर, स्थायित्व वाली होगी। आइए जानते हैं, देश और दुनिया में ऐसे कौन से महत्वपूर्ण पुस्तकालय हैं, जहां साहित्य, संस्कृति, कला, इतिहास और जीवन को संवारने, समृद्ध करने वाला साहित्य सुरक्षित और संरक्षित है। इसके साथ इस बात का भरोसा भी है कि भविष्य में भी ये पुस्तकालय इंसानियत की इस उपलब्धि को सुरक्षित रखेंगे। देश और दुनिया में ऐसे एक नहीं दर्जनों पुस्तकालय हैं। 

देश का दुर्लभ पुस्तकालय
जहां तक अपने देश भारत का सवाल है तो यहां के कुछ महत्वपूर्ण और दुर्लभ पुस्तकालयों में से सबसे महत्वपूर्ण ‘भारत का राष्ट्रीय पुस्तकालय’ है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया नाम के इस पुस्तकालय की साल 1903 में कोलकाता के अलीपुर इलाके के बेल्वे डियर एस्टेट में स्थापना हुई थी। तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन के द्वारा इसके सार्वजनिक उपयोग हेतु इसे इंपीरियल लाइब्रेरी में मिला दिया गया था। यह पुस्तकालय वास्तव में 1836 में स्थापित कलकत्ता पब्लिक लाइब्रेरी का ही विस्तारित रूप था। आजादी के बाद साल 1948 में इंपीयिरल लाइब्रेरी एक्ट को पारित करके इसे राष्ट्रीय पुस्तकालय का दर्जा दिया गया और 1 फरवरी 1953 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने इसे हर भारतीय के लिए खोल दिया। वर्तमान में यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन है। यह सार्वजनिक रिकॉर्ड का तो देश में सबसे बड़ा पुस्तकालय है ही, इस पुस्तकालय में 22 लाख से ज्यादा साहित्य, संस्कृति, दर्शन और अन्य बहुत विषयों की किताबें हैं। 

पहला आधुनिक पुस्तकालय
देश में कोलकाता ऐसा शहर है, जहां पुस्तकालयों की शानदार परंपरा रही है। भारत का पहला आधुनिक पुस्तकालय एशियाटिक सोसाइटी लाइब्रेरी भी साल 1784 में कोलकाता में ही स्थापित हुआ था, जिसकी स्थापना सर विलियम जोंस ने की थी। 

सबसे पुराना पुस्तकालय
अगर देश की पुरानी और साहित्य, इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण सरकारी पुस्तकालयों की बात करें तो केरल राज्य का पुस्तकालय भी बहुत महत्वपूर्ण है। त्रिवेंद्रम पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में इसकी स्थापना 1829 में हुई थी। लेकिन अगर देश के सबसे पुराने पुस्कालय की बात करें तो यह तमिलनाडु के तंजावुर जिले में स्थित सरस्वती महल पुस्तकालय है। इस पुस्तकालय की स्थापना 16वीं शताब्दी में मराठा शासन के दौरान हुई थी। इसमें प्राचीन साहित्य विशेष रूप से धार्मिक साहित्य की महत्वपूर्ण किताबें उपलब्ध हैं।

ये पुस्तकालय भी हैं विशिष्ट
देश के अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकालयों में ‘चमेली देवी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन’ का पुस्तकालय भी है, जो कि मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में स्थित है। यह पुस्तकालय भी महत्वपूर्ण मेडिकल, इंजीनियरिंग और साहित्यिक विषयों की उत्कृष्ट किताबों का संग्रह रखता है। इस पुस्तकालय में राज्य सरकारों के अधिनियम, अध्यादेश और विभिन्न तरह की सरकारी नियमावलियां और देश-विदेश के संसदीय रिकॉर्ड मौजूद हैं। 

हैदराबाद स्थित सालार जंग संग्रहालय स्थित पुस्तकालय भी देश के उत्कृष्ट पुस्तकालयों में से है, जहां कला विषयों की दुर्लभ किताबें उपलब्ध हैं। यह भारत के तीन सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्रीय पुस्तकालयों में से एक है। यहां पर भी 80,000 से 
ज्यादा किताबें, 10 लाख से ज्यादा चित्र, मूर्तियां, नक्काशी, पांडुलिपियां और कलाकृतियां मौजूद हैं। इसी तरह रामपुर का रजा पुस्तकालय या रजा किताबखाना भी है, इसे भी दक्षिण एशिया के महत्वपूर्ण पुस्तकालयों में गिना जाता है। इसकी स्थापना सन 1774 में नवाब फैजुल्ला खान ने की थी। इसमें विभिन्न धर्मों और परंपराओं से संबंधित किताबें हैं। पटना की खुदाबख्श लाइब्रेरी भी दुनिया के दुर्लभ पुस्तकालयों में से एक है, जहां 21,000 से ज्यादा ओरिएंटल पांडुलिपियां और ढाई लाख से ज्यादा मुद्रित किताबें मौजूद हैं।

संभव है कि अगले दो दशकों में दुनिया के सारे पुस्तकालयों में मौजूद किताबें, दस्तावेजों और पांडुलिपियों को डिजिटल तकनीक में बदल दिया जाए। जैसे भारत में नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया का आने वाले कुछ वर्षों के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जो सभी तरह की किताबों का सबसे बड़ा डिजिटल भंडार बनने की तरफ बढ़ रहा है। 

ये लाइब्रेरीज हैं वर्ल्ड फेमस
अगर भारत से बाहर दुनिया के महत्वपूर्ण पुस्तकालयों की बात करें तो अलेक्जेंड्रिया की लाइब्रेरी दुनिया की प्राचीनतम और दुर्लभतम लाइब्रेरी मानी जाती है। इसी तरह ब्रिटिश लाइब्रेरी, जो कि लंदन में स्थित है, यहां 20 करोड़ से ज्यादा किताबें हैं। जबकि कांग्रेस लाइब्रेरी वाशिंगटन में 7 करोड़ किताबें हैं। इन सभी पुस्तकालयों का हाल के सालों में तेजी से आधुनिकीकरण हुआ है और बहुत सारी सामग्री ऑडियो विजुअल या डिजिटल शेप में बदली जा चुकी हैं। 
 

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