Budget Session 2025 Live updates: संसद के बजट सत्र के चौथे दिन मंगलवार (4 फरवरी ) को भी महाकुंभ में भगदड़ को लेकर हंगामा हुआ। लगातार दूसरे दिन विपक्षी सांसदों ने सरकार से महाकुंभ भगदड़ पर जवाब मांगा। लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान अखिलेश यादव ने महाकुंभ हादसे को लेकर सदन में दो मिनट का मौन रखने की मांग की, लेकिन स्पीकर ने इसे खारिज कर दिया। वहीं भाजपा सांसद अरुण गोविल ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया। गोविल ने कहा कि विपक्ष को सनातन धर्म और संस्कृति से कोई मतलब नहीं है। विपक्ष केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस मुद्दे को उठा रहा है। पढें लाइव अपडेट्स।
Live Updates:
- अखिलेश यादव ने उठाया महाकुंभ में भगदड़ का मुद्दा
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महाकुंभ हादसे को लेकर बड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने सदन में दो मिनट का मौन रखने की मांग की, लेकिन स्पीकर ने इसे खारिज कर दिया। इस पर अखिलेश ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि अगर सत्ता पक्ष के मन में अपराध बोध नहीं है, तो हादसे के आंकड़े क्यों छिपाए जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि खोया-पाया केंद्र तक नहीं मिल रहा और प्रशासन की लापरवाही के कारण श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। - भगदड़ मचने के बाद सरकारी हेलिकॉप्टर ने बरसाए फूल
अखिलेश यादव ने कहा कि जब पता चला कि महाकुंभ भगदड़ में कुछ लोगों की जान चली गई है, उनके शव मोर्चरी और अस्पताल में पड़े हैं, तब सरकार ने अपने सरकारी हेलीकॉप्टर में फूल भरकर उन पर पुष्प वर्षा की। यह कैसी सनातनी परंपरा है? भगवान जाने कितने चप्पल, कपड़े और साड़ियां पड़ी थीं और उन सबको जेसीबी मशीन और ट्रैक्टर ट्रॉली से उठवाया गया। कोई नहीं जानता कि उन्हें कहां फेंका गया। ऐसा सुनने में आ रहा है कि सब कुछ छुपाने के लिए कुछ दबाव और कुछ मीठा खिलाया जा रहा है ताकि उनकी खबर बाहर न आए।
- डिजिटल कुंभ का दावा, लेकिन आंकड़े नहीं बता पा रही सरकार
अखिलेश यादव ने केंद्र और यूपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि डिजिटल कुंभ कराने का दावा करने वाली सरकार मृतकों की सही संख्या तक नहीं बता पा रही है। सपा प्रमुख ने कहा कि प्रयागराज में श्रद्धालुओं की लाशें पड़ी थीं, लेकिन सरकार उन पर फूल बरसाने में व्यस्त थी। अखिलेश ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाना साधते हुए कहा कि हादसे के 17 घंटे बाद सरकार ने जवाब दिया। अखिलेश यादव ने कहा कि पहले अखाड़ों का स्नान रद्द कर दिया गया, लेकिन जब पूरे देश में इसका विरोध हुआ तो सरकार ने अपना फैसला बदल दिया।
- महाकुंभ की जिम्मेदारी सेना को सौंपी जाए
सपा प्रमुख ने महाकुंभ में हुई अव्यवस्थाओं के लिए राज्य और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया। अखिलेश यादव ने कहा कि डबल इंजन सरकार महाकुंभ में पूरी तरह फेल हो गई है, इसलिए इसकी जिम्मेदारी सेना को सौंप देनी चाहिए। अखिलेश ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और क्राउड मैनेजमेंट में सरकार पूरी तरह असफल रही है। अखिलेश ने महाकुंभ भगदड़ की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने सरकार से मृतकों और घायलों के परिजनों को उचित मुआवजा देने की भी मांग की।
- कांग्रेस और आप सांसदों ने भी उठाया मामला
महाकुंभ भगदड़ का मुद्दा केवल अखिलेश यादव तक सीमित नहीं रहा। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी इस मामले पर चर्चा के लिए कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया। गौरव गोगोई ने कहा कि सुरक्षा इंतजाम पर्याप्त नहीं थे, भीड़भाड़ और प्रशासनिक खामियों के कारण यह हादसा हुआ, जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया। अखिलेश ने कहा कि सरकार को जवाब देना चाहिए कि इतनी बड़ी दुर्घटना आखिर कैसे हुई? संजय सिंह ने भी राज्यसभा में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और कहा कि सरकार को पारदर्शिता बरतते हुए पूरी जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए। - बीजेपी सांसदों का पलटवार, विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप
महाकुंभ हादसे को लेकर संसद में पक्ष-विपक्ष में जोरदार बहस हुई। भाजपा सांसद अरुण गोविल ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सनातन धर्म और संस्कृति से कोई मतलब नहीं है, वह केवल राजनीतिक फायदे के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं। गोविल ने समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के बयान पर भी आपत्ति जताई और कहा कि जया बच्चन बिना सबूत कुछ भी बोल रही हैं। राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने भी विपक्ष से सबूत देने की मांग की और कहा कि अफवाह फैलाने वालों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
महाकुंभ हादसे पर सरकार की चुप्पी पर सवाल
महाकुंभ हादसे को लेकर संसद में लगातार घमासान जारी है, लेकिन सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की पूरी कोशिश कर रहा है, जबकि भाजपा इसे सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा बता रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब शाम 5 बजे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे, तो क्या वे इस मामले पर कुछ बोलेंगे या नहीं? फिलहाल, इस मुद्दे पर संसद में जमकर राजनीति हो रही है और जनता को अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला है।
पीएम मोदी आज देंगे राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 5 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर जवाब देंगे। इस दौरान वह सरकार की नीतियों और उपलब्धियों पर जोर देंगे। साथ ही विपक्ष की आलोचनाओं का भी करारा जवाब देने की संभावना है। यह संबोधन खास इसलिए है क्योंकि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव भी सदन में लाया जा सकता है। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जबरदस्त बहस होने की उम्मीद है।
सोनिया गांधी के खिलाफ आ सकता है विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
भाजपा सांसदों ने 3 फरवरी को सोनिया गांधी और पप्पू यादव के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का नोटिस दिया था। इन दोनों नेताओं ने बजट सत्र के पहले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विवादित टिप्पणियां की थीं। सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘बेचारी’ कहा था, जबकि पप्पू यादव ने उन्हें ‘रबर स्टैंप’ और ‘लव लेटर पढ़ने वाली’ बता दिया था। भाजपा ने इसे राष्ट्रपति का अपमान करार देते हुए कार्रवाई की मांग की थी। अगर यह प्रस्ताव पेश होता है, तो संसद में भारी हंगामे के आसार हैं।
तीन दिन की कार्यवाही में क्या हुआ?
बजट सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को हुई थी और अब तक कई अहम बहसें हो चुकी हैं। 3 फरवरी को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ‘मेक इन इंडिया’ योजना को पूरी तरह विफल बताया। वहीं, राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने महाकुंभ में भगदड़ से ‘हजारों मौतों’ का दावा किया था, जिसे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वापस लेने को कहा। इसके अलावा, लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त समिति की रिपोर्ट को पेश करने की योजना थी, लेकिन इसे टाल दिया गया।
बजट सत्र में कौन-कौन से बिल पेश हो सकते हैं?
बजट सत्र का पहला चरण 13 फरवरी तक चलेगा, जबकि दूसरा चरण 10 मार्च से 14 अप्रैल तक होगा। इस दौरान सरकार 16 विधेयकों को पेश करने की योजना बना रही है, जिनमें से 12 बिल मानसून और शीतकालीन सत्र में भी चर्चा के लिए रखे गए थे। विपक्ष का आरोप है कि सरकार अहम बिलों को जल्दबाजी में पारित कराने की कोशिश कर रही है, जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि ये विधेयक विकास कार्यों को तेज करने के लिए जरूरी हैं।
बजट पर पक्ष और विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ₹50.65 लाख करोड़ का केंद्रीय बजट पेश किया था। उन्होंने घोषणा की थी कि नौकरीपेशा लोगों के लिए ₹12.75 लाख और अन्य करदाताओं के लिए ₹12 लाख तक की आय टैक्स फ्री होगी। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक कार, मोबाइल और LED सस्ते करने की घोषणा की गई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बजट को आम जनता के लिए फायदेमंद बताया था, जबकि विपक्ष ने इसे निराशाजनक करार दिया था। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि यह बजट केवल अमीरों के फायदे के लिए बनाया गया है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर क्यों हुआ विवाद?
31 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था। उन्होंने अपनी सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा था कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मंत्र पर काम जारी है। उन्होंने यह भी बताया कि 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से ऊपर उठ चुके हैं। हालांकि, विपक्ष ने उनके भाषण को सरकार का प्रचार बताया और इसे महज औपचारिकता करार दिया। अब प्रधानमंत्री मोदी अपने जवाब में विपक्ष के इन आरोपों का जवाब देंगे। उनके संबोधन पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।