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Budget Session 2025:संसद सत्र के आठवें दिन मंगलवार (11 फरवरी) को राज्यसभा (Rajya Sabha) में संविधान की मूल प्रति को लेकर जोरदार बहस हुई। विपक्ष ने सरकार पर संविधान से छेड़छाड़ का आरोप लगाया, तो जेपी नड्डा ने किया पलटवार। जानें पूरा मामला।  

Budget Session 2025: संसद सत्र के आठवें दिन मंगलवार (11 फरवरी) को राज्यसभा (Rajya Sabha) में संविधान की मूल प्रति से जुड़े विवाद पर जोरदार बहस हुई। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि सरकार संविधान को लेकर गैरजरूरी विवाद खड़ा कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह बाबा साहब अंबेडकर के विचारों को बदनाम करने की साजिश है। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने जवाब दिया कि संविधान की मूल प्रति का प्रसार जरूरी है, ताकि देश की जनता असली दस्तावेज को देख सके। नेता सदन जेपी नड्डा ने भी समर्थन किया और कहा कि संविधान की मूल प्रति में मौजूद चित्र और इलेस्ट्रेशन को हटाना सही नहीं है।  

संविधान की मूल प्रति में बदलाव का मुद्दा क्यों उठा?
बीजेपी सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने राज्यसभा में संविधान की प्रतियों से मूल इलेस्ट्रेशन हटाने का मुद्दा उठाया। मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि जो संविधान निर्माताओं ने हस्ताक्षर किए थे, उसमें 22 महत्वपूर्ण चित्र थे, लेकिन अब वह दिखाई नहीं देते। अग्रवाल ने सवाल किया कि क्या इसे बिना राष्ट्रपति की अनुमति के बदला गया? सभापति धनखड़ ने कहा कि संविधान में हुए संशोधनों को मान्यता दी जानी चाहिए, लेकिन यह भी जरूरी है कि मूल प्रति को सुरक्षित रखा जाए। धनखड़ ने कहा कि संविधान को किसी भी तरह से तोड़-मरोड़कर पेश नहीं किया जाना चाहिए।  

जेपी नड्डा बोले- संविधान को मूल स्वरूप में रखना जरूरी
नेता सदन और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जो भी पब्लिशर्स संविधान की प्रति प्रकाशित कर रहे हैं, वे इसे मूल भावना के साथ प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल प्रति से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए और इसे चित्रों सहित प्रस्तुत किया जाना चाहिए। नड्डा ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे बिना कारण इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बीजेपी संविधान के मूल स्वरूप को बनाए रखने के पक्ष में है।  

टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी जताई आपत्ति?
टीएमसी सांसद डेरेक ओ'ब्रायन ने भी इस मुद्दे पर सरकार से सवाल किया। उन्होंने कहा कि संसद में जो संविधान की प्रति उपलब्ध है, उसमें 404 पेज हैं, लेकिन उसमें भी मूल चित्र नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह जनता को भ्रमित करने की कोशिश है और सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संविधान का असली स्वरूप ही जनता तक पहुंचे। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा।  

संविधान संशोधन पर क्या बोले सभापति धनखड़?
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस पूरे विवाद पर अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि संविधान की जो मूल प्रति तैयार की गई थी, उसमें सभी महत्वपूर्ण हस्ताक्षर और चित्र मौजूद थे। उनका कहना था कि कोई भी बदलाव राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना संभव नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संविधान को उसके मूल स्वरूप में रखना जरूरी है। धनखड़ ने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर जल्द निर्णय लेना चाहिए, ताकि लोगों में भ्रम की स्थिति न बने।  

संविधान पर विवाद से राजनीतिक सरगर्मी तेज
संविधान की मूल प्रति से जुड़े इस विवाद ने राजनीतिक हलकों में सरगर्मी बढ़ा दी है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार पर संविधान से छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया, जबकि बीजेपी ने इसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज के संरक्षण का मामला बताया। संसद में इस विषय पर तीखी बहस हुई और दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें रखीं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगामी चुनावों में भी बड़ा मुद्दा बन सकता है।  

लोकसभा में भी गूंजा संविधान का मुद्दा
संविधान की मूल प्रति को लेकर राज्यसभा में हुई बहस के बाद लोकसभा में भी यह मुद्दा उठा। विपक्षी सांसदों ने सरकार से पूछा कि क्या संविधान में बिना अनुमति के कोई बदलाव किया गया है? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि संविधान को उसके मूल स्वरूप में रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अगर कोई गलती हुई है, तो उसे सुधारने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।  

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