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Electoral Bonds: चुनाव आयोग ने 14 मार्च को वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड की डिटेल अपलोड की थी। लेकिन इसमें कई जानकारियां अधूरी थीं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को पूरा डेटा नहीं साझा करने के लिए एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी।

Electoral Bond Issue: सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनावी बांड मामले में सुनवाई की। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को हमारे पिछले महीने फैसले के अनुसार इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर का खुलासा करना होगा, जिस पर एसबीआई सहमत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई चेयरमैन से गुरुवार (21 मार्च) तक हलफनामा दायर करने को कहा है, जिसमें बैंक के पास मौजूद पूरी डिटेल का खुलासा करने के लिए कहा है। इस हलफनामे में बैंक को बताना होगा कि उसने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी कोई जानकारी छिपाई नहीं है।

हमें बदनाम किया जा रहा है: SBI
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि हमने एसबीआई से सभी जानकारी का खुलासा करने के लिए कहा था, इसमें चुनावी बॉन्ड नंबर भी शामिल थे। आपको विवरण का खुलासा करने में सेलेक्टिव नहीं होना चाहिए। हम चाहते हैं कि 21 मार्च की शाम 5 बजे चुनावी बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी सार्वजनिक की जाए, जो एसबीआई के पास है। चुनाव आयोग भी पूरा विवरण प्रकाशित करे।' इस पर एसबीआई के वकील ने कहा कि हम पूरी जानकारी देने को तैयार हैं। हमें इस मुद्दे पर बदनाम किया जा रहा है।

एसबीआई को देना होगा हलफनामा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसबीआई को चुनावी बॉन्ड नंबरों का खुलासा करना होगा। साथ ही एक हलफनामा दायर कर यह भी बताना होगा कि उसने कोई जानकारी नहीं छिपाई है। एसबीआई ने जवाब दिया है कि वह अपने पास मौजूद हर जानकारी देगा और बैंक अपने पास मौजूद किसी भी जानकारी को छिपाकर नहीं रखेगा। एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर देने होंगे तो हम जरूर देंगे।

रविवार को जारी हुआ था नया डेटा 
चुनाव आयोग ने रविवार को चुनावी बॉन्ड स्कीम से जुड़े नए आंकड़े जारी किए थे। इसमें बॉन्ड खरीदार और किस पार्टी ने भुनाया, इसकी जानकारी थी। यह पूरी डिटेल एसबीआई की तरफ से उपलब्ध कराए आंकड़ों पर आधारित थी। 14 मार्च को चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड की डिटेल अपलोड की थी। लेकिन इसमें कई जानकारियां अधूरी थीं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार को पूरा डेटा नहीं साझा करने के लिए एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी। दूसरी ओर चुनाव आयोग ने भी सीलबंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट में जमा किया था। जिसे बाद में कोर्ट ने सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। अदालत ने एसबीआई को बीते 5 साल में खरीदे गए सभी बॉन्ड की जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दिया था। (पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...)

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