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Indian Airforce Fighter Jets shortage: इंडियन एयरफोर्स फाइटर जेट्स और पायलटों की कमी से जूझ रही है। 114 जेट्स की डील पेंडिंग है और तेजस की डिलीवरी 2028 तक संभव है। जानें विस्तार से।  

Indian Airforce Fighter Jets shortage: इंडियन एयरफोर्स (IAF) वर्तमान में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। 4.5 जेनरेशन वाले फाइटर जेट्स और पायलटों की कमी इसकी ऑपरेशनल क्षमता को प्रभावित कर रही है। 114 फाइटर जेट्स खरीदने की डील लंबे समय से पेंडिंग है। वहीं, तेजस जेट्स की डिलीवरी में देरी हो रही है। इन समस्याओं को हल करने के लिए सरकार ने एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है।  

114 जेट्स की डील पूरी होने में देरी 
इंडियन एयरफोर्स में एडवांस 4.5 जेनरेशन फाइटर जेट्स की भारी कमी है। सरकार ने 1.25 लाख करोड़ की लागत से 114 नए फाइटर जेट्स खरीदने का प्रोजेक्ट मंजूर किया था। इनमें से कुछ जेट्स विदेश से खरीदे जाने हैं, जबकि बाकी का निर्माण देश में किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट लंबे समय से पेंडिंग है। विशेषज्ञों के अनुसार, इन जेट्स की तैनाती मुख्य रूप से चीनी सीमा पर की जाएगी। यह देरी इंडियन एयरफोर्स की ताकत को कमजोर कर रही है।  

क्या है तेजस प्रोजेक्ट में देरी की वजह
इंडियन एयरफोर्स ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को 83 तेजस मार्क-1ए जेट्स बनाने का काम सौंपा है। यह डील फरवरी 2021 में 46,898 करोड़ रुपये की लागत से हुई थी। लेकिन अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा इंजन सप्लाई में देरी के कारण प्रोजेक्ट में रुकावट आई है। HAL, 2024-25 वित्तीय वर्ष में 16 जेट्स की डिलीवरी करने वाला था। अब यह संख्या घटकर सिर्फ 2-3 रह गई है। बाकी जेट्स की डिलीवरी 2028 तक पूरी होने की उम्मीद है।  

कैग रिपोर्ट में खुलासा-IAF में पायलटों की कमी  
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन एयरफोर्स में पायलटों की कमी चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। 2015 में वायुसेना में 486 पायलटों की कमी थी, जो 2021 तक बढ़कर 596 हो गई। 2016 से 2021 के बीच वायुसेना ने 222 ट्रेनी पायलटों की भर्ती का लक्ष्य रखा था। लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। इस कमी के कारण वायुसेना की ऑपरेशनल क्षमता पर असर पड़ रहा है। कैग की यह रिपोर्ट पायलट प्रशिक्षण प्रोग्राम की गति पर भी सवाल उठाती है।  

माैजूदा समय में एयरफोर्स के पास 36 राफेल
वर्तमान में इंडियन एयरफोर्स के पास 36 राफेल जेट्स हैं। इन्हें 2016 में फ्रांस से खरीदा गया था। राफेल अपनी स्पीड, उच्च मारक क्षमता और आधुनिक तकनीक के लिए जाना जाता है। यह 3,700 किलोमीटर की मारक रेंज के साथ आता है। इसमें मीटियॉर, स्कैल्प और हैमर जैसी मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। राफेल की क्षमता इसे चीन और पाकिस्तान के फाइटर जेट्स से बेहतर बनाती है। यह एक सेकंड में 300 मीटर ऊंचाई तक पहुंच सकता है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।  

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चीन-पाकिस्तान से बढ़ते खतरे पर नजर
पिछले कुछ महीनों में चीन ने भारत की सीमा के पास कई एयरबेसों को मजबूत किया है। इनमें होतान, काशगर, गरगुंसा, और शिगात्से जैसे एयरबेस शामिल हैं। चीन ने इन बेसों पर नए रनवे, शेल्टर और फ्यूल स्टोरेज बढ़ाए हैं। इसके अलावा, फाइटर जेट्स, ड्रोन और बॉम्बर्स को तैनात किया गया है। पाकिस्तान को भी चीन लगातार हथियार और जेट्स की सप्लाई कर रहा है। इन खतरों को देखते हुए भारत को अपनी सैन्य क्षमता में तेजी से सुधार करना होगा।  

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सरकार ने बनाई उच्चस्तरीय कमेटी
वायुसेना में इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी का नेतृत्व डिफेंस सेक्रेटरी राजेश कुमार सिंह कर रहे हैं। इसमें डिफेंस सेक्रेटरी (प्रोडक्शन) संजीव कुमार, DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत और वायुसेना के उप प्रमुख एयर मार्शल टी. सिंह शामिल हैं। यह कमेटी पुरानी और नई परियोजनाओं की समीक्षा करेगी। अपनी रिपोर्ट सरकार को अगले 2-3 महीनों में सौंपेगी।  

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