Manmohan Singh Blue Turban Stories: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर की रात निधन हो गया। उन्हें गंभीर स्थिति में दिल्ली स्थित AIIMS में भर्ती कराया गया था, लेकिन डॉक्टर्स की कोशिशें नाकाम रहीं। मनमोहन सिंह सदा के लिए सभी को अलविदा कह गए। अंतिम विदाई के लिए उनके पार्थिव शरीर को कांग्रेस मुख्यालय में रखा गया है। डॉ. सिंह को भारतीय अर्थव्यवस्था का शिल्पकार कहा जाता है। मनमोहन सिंह दो कार्यकाल (2004 से 2008 और फिर 2009 से 2014) तक प्रधानमंत्री रहे। मनमोहन सिंह की नीली पगड़ी के किस्से मशहूर हैं, आइए जानते हैं पूर्व पीएम की नीली पगड़ी के कुछ इंटरेस्टिंग किस्से
अक्सर माथे से लिपटी होती थी नीली पगड़ी
मनमोहन सिंह के माथे से अक्सर नीली पगड़ी लिपटी नजर आती थी। सरकार हो या गैर सरकारी कार्यक्रम उन्हें घर से नीली पगड़ी बांधकर निकलना बेहद पसंद था। मनमोहन सिंह ने क्रैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ाई थी। एक बार मनमोहन सिंह को क्रैम्ब्रिज यूनिवर्सटी में भाषण देने के लिए बुलाया गया। इस बार भी वह नीली पगड़ी में मंच पर पहुंचे। यहां सब मनमोहन सिंह से उनकी पगड़ी को लेकर सवाल करने लगे। इसके बाद मनमोहन सिंह ने कहा था कि यह हिल्का नीला रंग मेरे अल्मा मैटर क्रैम्बिज का सिम्बल है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में बिताए गए पलों को अक्सर याद किया करते थे। वह कहते थे कि क्रैम्ब्रिज की शिक्षा मेरे जीवन का बेहद अहम हिस्सा हैं।
पगड़ी देख प्रिंस फिलिप ने किया था मजाक
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के पगड़ी का रंग क्रैम्बिज में भी बेहद चर्चा का टॉपिक हुआ करता था। कैम्ब्रिज में एक बार सम्मान समारोह हुआ। इस समारोह में ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग, प्रिंस फिलिप भी मौजूद थे। जैसे ही मनमोहन सिंह मंच पर चढ़े प्रिंस फिलिप ने कहा -"Look at the colour of his turban," यानी कि "उनकी पगड़ी के रंग पर ध्यान दें।" इतना सुनते ही क्रैम्ब्रिज का पूरा हॉल तालियों से गूंंज उठा। इस तरह लोगों को तालियां बजाते देख मनमोहन सिंह अपने चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराने लगे। मनमोहन ने हॉल में बैठे लोगों से कि नीला मेरा फेवरेट कलर है और यह अक्सर मेरी पगड़ी में नजर आता है। इतना सुनते ही पूरा हॉल दोबारा तालियों से गूंज उठा।
कैम्ब्रिज में ‘ब्लू टर्बन’ के नाम से रहे मशहूर
मनमोहन सिंह क्रैम्बिज यूनिवर्सिटी में भी अपनी पगड़ी को लेकर मशहूर थे। जब मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स की पढ़ाई कर रहे थे, उस समय भी उन्हें निली पगड़ी बांधना बेहद पसंद था। वह अक्सर यूनिवर्सिटी कैंपस नीली पगड़ी बांधकर पहुंच जाया करते थे। नतीजा ये हुआ कि वहां पढ़ने वाले दूसरे स्टूडेंट्स उन्हें ‘ब्लू टर्बन’ यानी कि नीली पगड़ी वाला लड़का कहने लगे थे। एक बार मनमोहन सिंह ने ही क्रैम्ब्रिज के दिनों की याद साझा करते हुए यह बता बताई थी। मनमोहन सिंह अक्सर कहा करते थे कि क्रैम्ब्रिज ने मेरे जीवन को गढ़ा है। जाने माने अर्थशास्त्रियों निकोलस काल्डोर,जॉन रॉबिन्सन और अमर्त्य सेन से मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला था।
वित्त मंत्री रहते अर्थव्यवस्था को दी नई दिशा
मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों का शिल्पकार माना जाता है। 1991 में जब मनमोहन सिंह वित्त मंत्री बनें तो देश आर्थिक संकटों से जूझ रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार संकट में थ। ऐसे में उन्होंने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और इसे मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए। मनमोहहन सिंह ने अपने कार्यकाल में उदारणीकरण की शुरुआत की। सरकारी कंपनियों का मुनाफा बढ़ाने के लिए कदम उठाए। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंजूरी दी। इससे भारत की अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिली। देखते ही देखते विदेशी निवेशकों के लिए भारत एक आकर्षक बाजार बन गया। इन सुधारों से देश में रोजगार बढ़ा।उनके कार्यकाल में करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकलने में मदद मिली।
अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील में निभाई अहम भूमिका
मनमोहन सिंह भारत के पहले सिख प्रधानमंत्री थे। उनका जीवन सादगी और विनम्रता का प्रतीक रहा। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले लिए। इनमें से अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील बेहद अहम हैं। इस डील को लेकर ज्यादातर विपक्षी पार्टियां विरोध में थी। इसके बावजूद मनमोहन सिंह ने अपना फैसला नहीं टाला। आखिरकार, 18 जुलाई 2005 को मनमोहन सिंह और जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने इस समझौते पर साइन कर दिए। इससके जिनमें अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील और मनरेगा जैसी योजनाएं शामिल हैं। उनका योगदान आज भी देश के हर नागरिक के लिए प्रेरणा है। मनरेगा जैसी योजनाएं मनमोहन सिंह की ही देन है।