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Jannayak Karpoori Thakur: जननायक कर्पूरी ठाकुर को केद्र सरकार ने भारत रत्न देने की घोषणा की है। उनकी सादगी से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं। उन्होंने कभी भी धन-संपत्ति को प्राथमिकता नहीं दी। मरने के बाद भी विरासत में परिवार के लिए पुरानी झोपड़ी छोड़ गए।

Jannayak Karpoori Thakur: सादगी और जनसेवा के लिए मशहूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न मिलेगा। केंद्र सरकार ने कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषणा कर दी  है। कर्पूरी ठाकुर ने अपना जीवन बेहद सादगी से जीया। कर्पूरी वह दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे लेकिन कभी भी पैसा कमाना उनकी प्राथमिकता नहीं दी। अपने आप को जनकल्याण के लिए समर्पित कर दिया। जब वह दुनिया से गए तो अपने परिवार को विरासत में वही पुरानी झोपड़ी छोड़ गए जिसमें कभी वह पैदा हुए थे। 

राजनीति के जरिए सामाजिक परिवर्तन
दो बार मुख्यमंत्री पद पर रहने के बावजूद वह एक साधारण झोपड़ी में रहते थे। ठाकुर ने राजनीति के जरिए सामाजिक परिवर्तन लाने का प्रयोग किया। अपने इस प्रयोग में वह सफल भी रहे। गरीबों, पिछड़ों और वंचितों को बिहार में समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का काम किया। ऐसा करने की वजह से वह एक जननायक बन गए।उनका जीवन ईमानदारी की मिसाल है। मौजूदा समय में ज्यादातर राजनेता अपने परिवार के सदस्यों का राजनीतिक कैरियर सेट करने में लगे है। वहीं, कर्पूरी ठाकुर ने कभी भाई भतीजावाद को बढ़ावा नहीं दिया। उनके पास कभी कोई घर या कार नहीं थी।

कर्पूरी ठाकुर से जुड़ा एक मशहूर किस्सा
कर्पूरी ठाकुर हजारीबाग में पार्टी बैठक के दौरान एक घटना में झलकी। पार्टी की एक कार्यकर्ताओं ने उनकी एक बिजनेसमैन के साथ बैठक कराई। इस बिजनेसमैन ने पार्टी को 5 लाख रुपए देने का ऑफर कर दिया। हालांकि कर्पूरी ठाकुर ने उससे सिर्फ  500 रुपए लिए और वहां से चले आए। इससे उनके पार्टी कार्यकर्ता हैरान रह गए।पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी कर्पूरी ठाकुर के जीवन से जुड़ी एक खास बात बताई थी। यशवंत सिन्हा ने बताया कि सीएम बनने के बावजूद कर्पूरी ठाकुर ने अपने परिवार के लिए कोई सुख सुविधा नहीं जुटाई। उनके सीएम रहने के दौरान भी उनकी पत्नी गांव में झोपड़ी में रहा करतीं थीं। 

बकरियां चराते नजर आईं थी कर्पूरी ठाकुर की पत्नी
कर्पूरी ठाकुर जब ठाकुर मुख्यमंत्री थे तब उनकी पत्नी को बकरियां चराते हुए देखा गया था। यह बताता है कि अपने राजनीतिक जीवन और व्यक्तिगत जीवन को उन्होंने हमेश अलग रखा। अपने पहले सीएम कार्यकाल के दौरान, जब एक टायर पंक्चर हो गया, तो वह पुलिस की गाड़ी छोड़ कर एक ट्रक में सवार हो गए थे। पहली बार विधायक के तौर पर कर्पूरी ठाकुर को ऑस्ट्रिया दौरे पर जाने का मौका मिला। उनके पास एक फटा कोट था। दूसरा कोई कोट नहीं था, तो वह वही फटा कोट पहनकर विदेशी दौरे के लिए रवाना हो गए थे। अपनी इन्हीं सिंद्धांतों की वजह से कर्पूरी ठाकुर आज भी बिहार में एक जननायक के तौर पर जाने जाते हैं। 

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