Amit Shah on MK Stalin: तमिलनाडु में हिंदी पढ़ाए जाने को लेकर भाजपा और डीएमके के बीच सियासी लड़ाई तेज हो गई है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र पर गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया है। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने पलटवार किया है। कहा, डीएमके प्रमुख स्टालिन ने इस दिशा में पर्याप्त काम नहीं किया।
गृहमंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तमिलनाडु सरकार से मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तमिल में शुरू करने का आग्रह किया है। कहा, मोदी सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं को समायोजित करने भर्ती नीतियों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। डीएमके प्रमुख ने इस दिशा में पर्याप्त काम नहीं किया।
On the CISF Raising Day celebration, addressing the personnel of the force in Thakkolam, Tamil Nadu.
— Amit Shah (@AmitShah) March 7, 2025
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सभी भाषाओं में सीएपीएफ परीक्षा देंगे छात्र
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) कांस्टेबल भर्ती में अभी तक मातृभाषा के लिए कोई जगह नहीं थी। प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णय लिया है कि देश के युवा तमिल सहित आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में सीएपीएफ परीक्षा दे सकेंगे।
DMK प्रमुख स्टालिन ने उठाई थी मांग
तमिलनाडु के सीएम से मेरा आग्रह है कि वह तमिल में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करने की दिशा में कदम उठाएं। दरअसल, स्टालिन के विरोध के बाद केंद्र सरकार ने 2023 में तमिल सहित 13 क्षेत्रीय भाषाओं में सीएपीएफ परीक्षा करने की मंजूरी दी है।
NEP और 3 भाषा नियम पर CM एमके स्टालिन बोले
- सीएम एमके स्टालिन ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पोस्ट लिखकर केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के जरिए हिंदी थोपने का का आरोप लगाया। उन्होंने भाजपा के इस प्रयास को तमिलनाडु की भाषाई पहचान के लिए खतरा बताया।
- सीएम स्टालिन ने आगे लिखा-पेड़ शांत रहना पसंद कर सकता है, लेकिन हवा शांत नहीं होगी। कहा, विवाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री की टिप्पणी से भड़का है। उन्होंने ही हमें पत्र लिखने के लिए उकसाया था। हम बस अपना काम कर रहे थे। उन्हें इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे। तमिलनाडु को आत्मसमर्पण करने के लिए ब्लैकमेल नहीं किया जाएगा।
- सीएम स्टालिन ने आगे लिखा-तमिलनाडु पहले ही वह पा पा लिया है, जिसे एनईपी के तहत 2030 तक हासिल करने का लक्ष्य है। यह तो एलकेजी के छात्र द्वारा पीएचडी धारक को व्याख्यान देने जैसा है।
- सीएम स्टालिन ने कहा, द्रविड़म दिल्ली से निर्देश नहीं लेता। वह राष्ट्र के लिए अनुसरण करने का मार्ग निर्धारित करता है। एनईपी और तीन-भाषा फॉर्मूले का समर्थन करने वाले भाजपा के हस्ताक्षर अभियान पर भी निशाना साधा है। कहा, यह अभियान हंसी का पात्र है। मैं चुनौती देता हूं कि 2026 के चुनाव में वह इसे अपना एजेंडा बनाएं।
🎯 "The tree may prefer calm, but the wind will not subside." It was the Union Education Minister who provoked us to write this series of letters when we were simply doing our job. He forgot his place and dared to threaten an entire state to accept #HindiImposition, and now he… pic.twitter.com/pePfCnk8BS
— M.K.Stalin (@mkstalin) March 7, 2025
क्या है तीन भाषा विवाद?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020, तीन-भाषा फॉर्मूले की सिफारिश करती है। हालांकि, यह स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी। इसके बावजूद, नीति को तमिलनाडु में कोई समर्थन नहीं मिला। डीएमके का तर्क है कि यहां मौजूदा दो-भाषा प्रणाली पर्याप्त है।
महाराष्ट्र में भैयाजी जोशी के बयान पर ऐतराज
महाराष्ट्र में भी भैयाजी जोशी के बयान पर विपक्ष ने ऐतराज जताया है। भाजपा नेता राम कदम ने बचाव करते हुए कहा, उनका भाव समझिए। घाटकोपर ऐसा इलाका है, जहां गुजराती बोलने वाले लोग अधिक हैं। भैजा जी ने सिर्फ इतना ही कहा है कि वह लोग आपस में गुजराती में बात करेंगे। महाराष्ट्र की भाषा पहले भी मराठी थी और आगे भी मराठी ही रहेगी। हमारी सरकार ने इसे अभिजात भाषा का स्थान दिया है।