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Muslim Law Board on UCC: ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड ने (AIMPLB) कहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मुसलमानों को नामंजूर है। बोर्ड ने कहा है कि शरिया कानून से कोई समझौता नहीं होगा।

Muslim Law Board on UCC: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने एक बार फिर से यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का विरोध जताते हुए इसे मुसलमानों के लिए अस्वीकार्य बताया है। बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एस.क्यू.आर. इलियास ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में जानबूझकर "सेक्युलर सिविल कोड" शब्द का प्रयोग किया, जो देश को गुमराह करने की कोशिश है। बोर्ड का मानना है कि शरिया कानून (Sharia Law) के साथ कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता।

प्रधानमंत्री पर शरिया को निशाना बनाने का आरोप
डॉ. इलियास ने आगे कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब होता है कि यह पूरे देश पर लागू होगा, जिसमें सभी धर्मों और समुदायों के लोग शामिल होंगे। लेकिन, प्रधानमंत्री ने केवल शरिया कानून (Sharia Law) को ही निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि मोदी अन्य समुदायों को नाराज नहीं करना चाहते, इसलिए उन्होंने शरिया को 'साम्प्रदायिक' करार देकर बहुसंख्यक समुदाय का अपमान किया है।

पारिवारिक कानून में छेड़छाड़ को धर्म पर हमला बताया
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि भारतीय मुसलमानों के पारिवारिक कानून (Family Law) शरिया पर आधारित हैं और कोई भी मुस्लिम इस पर कोई समझौता नहीं कर सकता। शरिया कानून को संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। बोर्ड का कहना है कि किसी भी धर्म के पारिवारिक कानूनों में छेड़छाड़ करने और सभी के लिए सेक्युलर कानून बनाने की कोशिश धर्म को तोड़ने के समान है।

मोदी ने लाल किले से की थी सेक्युलर सिविल कोड की वकालत
15 अगस्त को 78वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से अपने 103 मिनट के भाषण में कहा कि देश को अब एक सेक्युलर सिविल कोड (Secular Civil Code) की जरूरत है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर विभाजन करने वाले कानून आधुनिक समाज का निर्माण नहीं कर सकते।

BJP के चुनावी वादों में शामिल रहा है UCC
यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रमुख एजेंडों में से एक है। पार्टी ने इसे 2024 के लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में भी शामिल किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने जून 2023 में कहा था कि भारत को एक सिविल कोड की जरूरत है क्योंकि देश में विभिन्न समुदायों के लिए अलग-अलग कानून नहीं हो सकते।

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